Post Office Small Saving Schemes: दूसरे निवेश विकल्पों की तुलना में बेहतर रिटर्न के लिए पोस्ट ऑफिस कई छोटी सेविंग स्कीम का ऑफर देता है. बैंकों की तुलना में पोस्ट ऑफिस की देश की घरेलू बचत में ज्यादा दखल है. ग्रामीण भारत में लोग अधिकतर पोस्ट ऑफिस स्कीम पर निर्भर होते हैं. हाल में पोस्ट ऑफिस ने जमा, निकासी और दूसरे कारकों को लेकर नियमों में बदलाव किया है. नियमों में इस बदलाव का आम आदमी के जीवन पर काफी असर पड़ता है. अगर आपने अपना पैसा डाकघर में जमा किया है तो आपको भी इसकी जानकारी होनी चाहिए.
इंडिया पोस्ट ने अपने ग्राहकों के लिए निकासी की संख्या में इजाफा किया है. इस बदलाव के साथ भारत पोस्ट अब कमर्शियल बैंक और उनकी सेविंग स्कीम का मुकाबला कर सकेगा.
बड़े बदलाव
प्रमुख रूप से अगस्त से पहले ग्राहकों के लिए पांच बड़े बदलाव हुए हैं. नई गाइडलाइन के मुताबिक खाताधारक एक दिन में ग्रामीण डाक सेवा ब्रांच से 20 हजार रुपये निकाल सकता है. इससे पहले ये लिमिट सिर्फ 5 हजार रुपये थी.
इसके अलावा, कोई भी ब्रांच पोस्टमास्टर (बीपीएम) एक ही दिन में खाते में 50,000 रुपये से अधिक की नकदी को स्वीकार नहीं करेगा. इसका मतलब है कि एक दिन में एक खाते में 50,000 रुपये से अधिक का कैश लेनदेन मुमकिन नहीं है.
इसके अतिरिक्त, वरिष्ठ नागरिकों के लिए कोई भी दूसरा आधिकारिक व्यक्ति उनकी जगह पर कैश की निकासी कर सकता है. कोरोना महामारी के चलते पोस्ट ऑफिस ने इस नियम में बदलाव किया है.
अब से, कोई भी डिपॉजिट या निकासी सिर्फ चेक के माध्यम से ही की जा सकेगी. इसका मतलब हुआ कि पब्लिक प्रॉविडेंट फंड, सीनियर सिटिजन सेविंग स्कीम, मासिक इनकम स्कीम, किसान विकास पत्र, नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट आदि के लिए कोई भी कैश ट्रांजेक्शन नहीं होगा.
ग्राहकों को अपने पोस्ट ऑफिस स्मॉल सेविंग अकाउंट में न्यूनतम बैलेंस मैंटेन करना होगा. इस आदेश के तहत खाते में हर महीने न्यूनतम 500 रुपये जमा रहने चाहिए. अगर किसी महीने 500 रुपये से कम पैसा हुआ तो मेंटेनेंस फीस के तौर पर 100 रुपये काटे जाएंगे.
इंडिया पोस्ट लीडर है
स्टेट बैंक की स्टडी के मुताबिक, पूरे देश की घरेलू बचत में पोस्ट ऑफिस स्कीम की हिस्सेदारी 82% है. जबकि बैंक खातों की बात करें तो आंकड़ा 18 फीसदी है. SBI के डेटा के मुताबिक, वित्त वर्ष 18 में देश में कुल 5.96 लाख करोड़ रुपये की छोटी बचत किटी में से 1.08 लाख करोड़ रुपये बैंकों के पास और 4.88 लाख करोड़ रुपये डाकघरों के पास थे.
जरूरी बात
WB स्मॉल सेविंग एजेंट्स एसोसिशन के जनरल सेक्रेटरी, निर्मल दास कहते हैं, “पोस्ट ऑफिस स्मॉल सेविंग स्कीम सुरक्षित और सावधानी के साथ ज्यादा आकर्षक ब्याज दर ऑफर देती है. हालांकि सरकार का ये फैसला ग्राहकों को ज्यादा खुश करने वाला नहीं है. कुछ चीजें जैसे कि न्यूनतम बैलेंस बनाए रखना या केवल चेक से लेन देन आदि लोगों को ज्यादा पसंद नहीं आएगा. हम नियमों में कुछ बदलाव चाहते हैं. डाकघर की योजनाएं आम लोगों के लिए हैं और सरकार को उनकी बात सुननी चाहिए.”