स्वतंत्रता की कीमत समझना आसान नहीं है. खासकर तब जब आपने गुलामी का स्वाद न चखा हो. मगर स्वतंत्रता दिवस के मौके पर यह भी याद रखिए कि आपके लिए अपनी खुद की ज़िंदगी में एक और आज़ादी भी बहुत ज़रूरी है. वो है पैसे या खर्च के मोर्चे पर आज़ादी. इस फिक्र से आज़ादी कि जीवन में आगे जो खर्च होने तय हैं या कोई खर्च अगर अचानक सिर पर आ पड़ा तो उसका इंतजाम कैसे होगा?
इस आज़ादी के मोर्चे पर सबसे पहले तो यही ज़रूरी है कि आप हिसाब लगा लें कि आप आज़ाद हैं या नहीं. ऐसा भी हो सकता है कि आपके पास आज़ादी तो है लेकिन आप खुद को गुलाम माने बैठे हैं और दिन रात पिस रहे हैं पैसे कमाने के लिए. इस फिक्र में घुल रहे हैं कि जितना कमाया वो कम तो नहीं पड़ जाएगा. इसीलिए सबसे ज़रूरी तो यही है कि आप काग़ज़ कलम लेकर बैठें या फिर अपने कंप्यूटर पर ही फाइल खोलकर हिसाब लिखकर देख लें.
सबसे पहले अपने सारे खर्च लिखिए. दो बार चेक कर लें कि कुछ छूट तो नहीं रहा है. पत्नी या पति से पूछ लें, बच्चे समझदार यानी समझदारी की उम्र पर हैं तो उनकी भी राय ले लें. हर महीने जो पक्का खर्च होता है, जो शौक पूरे करने होते हैं. कुछ इलाज इकराम पर खर्च होता है तो उसे न भूलें. और महीने में कितना पैसा बचाना होता है यह भी यहीं लिखना होगा.
आगे कुछ बड़े खर्च आनेवाले होंगे, बच्चों की पढ़ाई, घर खरीदना, कार लेना, बच्चों की शादी, कोई बड़ी छुट्टी मनाने की यानी विदेश घूमने की योजना. इन सबको जोड़कर हिसाब लगा लें कि हर महीने कितनी रकम इनके लिए किनारे रखनी होगी.
दूसरी तरफ यह हिसाब लिखें कि आपके पास कुल कितना पैसा है. घर, गाड़ी है तो हिसाब में लिख लें, लेकिन जिस घर में आप रहते हैं उसे निवेश के तौर पर संपत्ति न मानें. हां उसका फायदा यही है कि आपके खाते में किराए का खर्च नहीं जुड़ेगा. कर्ज की किस्त जाती है तो लिखनी होगी, लेकिन यह भी देख लें कि किस तारीख से वो किस्त बंद हो जाएगी. बैंक में बचत, एफडी, पीएफ, पीपीएफ, एनएससी, बॉंड, शेयर, म्यूचुअल फंड ये सब भी ज़रूर लिख लें.
अगर आप नौकरी करते हैं तो ग्रेच्युटी में मिलनेवाली रकम की भी खबर रखें. कहीं और संपत्ति में आपका हिस्सा है तो उसको भी जोड़ना न भूलें. महीने में कितनी कमाई होती है वो तो लिखनी ही होगी.
अब दोनों पलड़े जोड़कर एक बार सोचें कि आपके पास कितना है और कितने की ज़रूरत है. अगर ज़रूरत से काफी ज्यादा है तब तो आप पूरी तरह आज़ाद हैं या होने के लिए तैयार हैं. लेकिन अगर ज़रूरत भर का पैसा है या फिर उससे भी कम है तब आपकी आज़ादी की लड़ाई अभी बाकी है.
आपको इतने पैसे का इंतजाम करना है कि आप खुद हाथ पैर हिलाए बिना उस पैसे से ही कमाई कर सकें और आगे के लिए आपको नौकरी या कारोबार पर निर्भर न रहना पड़े.
इसके लिए अब सबसे पहले आपको अपने सारे कर्ज खत्म करने होंगे यानी ज़िम्मेदारियां खत्म करनी होंगी. और उसके बाद आपको यह इंतजाम करना होगा कि जो पैसा आपके पास है वो ऐसी जगहों पर लगा हो कि आपके पैसे के बढ़ने की रफ्तार महंगाई बढ़ने की रफ्तार से ज्यादा तो हो ही बल्कि वो जितनी ज्यादा तेज़ी से बढ़ सके उतना अच्छा.
यहीं आपको अपनी आज़ादी की लड़ाई में साथी चाहिए. सबसे पहला साथी तो है आपका परिवार. आपको अपनी सारी योजना उनके साथ मिलकर ही बनानी चाहिए. इससे गलती की गुंजाइश कम रहती है. और दूसरा ज़रूरी साथी है एक भरोसेमंद निवेश सलाहकार. इसे चुनने में भी सावधानी बरतिए, लेकिन यह आपके लिए है बहुत ज़रूरी.
जैसे अच्छे डॉक्टर की फीस ज्यादा होती है, वैसे ही एक निवेश सलाहकार की भी फीस होती है, लेकिन यह भी ज़रूरी है ताकि वो आपके पैसे का ख्याल रखे और आपको जल्दी से जल्दी आज़ादी पाने की राह पर आगे बढ़ा सके.