Shares और Mutual Funds पर भी लिया जा सकता है लोन, इन बातों का रखें ध्यान

इक्विटीज के मामले में लेंडर इन्वेस्टमेंट का 50% से 60% अमाउंट आपको लोन के तौर पर दे सकते हैं. वहीं, डेट इंस्ट्रूमेंट में यह राशि अधिक हो सकती है.

  • Team Money9
  • Updated Date - August 26, 2021, 03:55 IST
Loans can also be taken on Shares and Mutual Funds, keep these things in mind

आवेदक के महीने के खर्च या जिम्मेदारियां उनकी आय से काफी कम हैं. ये लोन लेने वाले की लोन चुकाने की क्षमता को दिखाता है

आवेदक के महीने के खर्च या जिम्मेदारियां उनकी आय से काफी कम हैं. ये लोन लेने वाले की लोन चुकाने की क्षमता को दिखाता है

यदि आपको अचानक से कैश की जरूरत पड़ जाती है और आपके पास म्यूचुअल फंड और स्टॉक्स (Stocks) है तो आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है. आप किसी बैंक या एनबीएफसी से इन म्यूचुअल फंड्स के बदले लोन ले सकते हैं. वैसे इस तरह से लोन काफी आसानी से मिल जाता है. कई बैंक और एनबीएफसी तो इसपर डॉक्यूमेंट्स भी नहीं मांगते हैं. लेकिन इस तरह के लोन में कई जरूरी शर्तें हैं. ब्याज दरों को भी देखना जरूरी है . आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर आपको किन बातों का ध्यान रखने की जरुरत है और क्या हैं इसके फायदे

आखिर कितना मिल सकता है कर्ज

इक्विटीज के मामले में लेंडर इंवेस्टमेंट का 50% से 60% अमाउंट आपको लोन के तौर पर दे सकते हैं. वहीं, डेट इंस्ट्रूमेंट और बॉन्ड के मामले में यह राशि अधिक हो सकती है. वहीं, अगर लोन अवधि के दौरान Securities की कीमत में भारी गिरावट आती है तो लेंडर एडिशनल सिक्योरिटीज भी प्लेज करने की डिमांड कर सकते हैं. सिक्योरिटीज के अगेंस्ट लोन लेने पर बैंक आपके प्रोसेसिंग फीस के अलावा लोन एग्रीमेंट पर लगने वाला स्टांप ड्यूटी चार्ज और प्लेज क्रिएशन फीस आदि चार्ज कर सकता है.

सस्ती ब्याज दरों पर लोन

लोन अगेंस्ट सिक्योरिटीज भले ही लोन लेने का सबसे तेज तरीका नहीं हो, लेकिन इन्हें गिरवी रखकर आप सस्ती ब्याज दरों पर लोन ले सकते हैं. बैंक और दूसरे वित्तीय संस्थान होम लोन से 2 या 3% अधिक इंटरेस्ट LAS पर चार्ज करते हैं, लेकिन यह इंटरेस्ट रेट पर्सनल लोन के इंटरेस्ट रेट से काफी कम होता है.

कम समय के मिलता है लोन

शेयर-म्यूचुअल फंड के बदले लोन ज्यादा अवधि के लिए नहीं मिलता है. बैंक अमूमन तीन साल की अवधि के लिए लोन देते हैं. बैंक कुल कर्ज की ईएमआई चुकाने या हर माह ब्याज चुकाने और अंत में मूल राशि चुकाने का भी ऑप्शन देते हैं.

शेयर बाजार में गिरावट का पड़ता है असर

शेयर के बदले लोन लेने पर बाजार में गिरावट का असर साफ देखने को मिलता है. कारण है कि आपके शेयरों की वैल्यू कम हो जाती है. जिसकी वजह से बैंक लोन पीरीयड के बीच में आपसे उतनी ही राशि के शेयरों को गिरवी रखने या राशि चुकाने को कहते हैं. उदाहरण से समझने का प्रयास करें तो अगर आपने 10 लाख रुपए के शेयर गिरवी रखे जिसके बदले में 60 फीसदी यानी छह लाख रुपए लोन मिला. बाजार में 10 फीसदी गिरावट पर आपके शेयर 9 लाख रुप, के हो जाएंगे. ऐसे में आप केवल 5.40 लाख कर्ज के हकदार हैं. इस स्थिति में बैंक 60 हजार रुप, की भरपाई की मांग करते हैं.

लोन लेने का क्या है फायदा

लोन अगेंस्ट सिक्यॉरिटी का मुख्य लाभ यह है कि आप इक्विटी में इन्वेस्टेड रह सकते हैं और उसी समय अपनी फाइनैंशल जरूरत को पूरा करने के लिए उसके बदले मिलने वाले लोन का इस्तेमाल कर सकते हैं. बाद में, आप लोन चुकाकर बैंक से अपने शेयरों को छुड़ा सकते हैं. म्यूचुअल फंड के बदले लोन लेने पर आपको यूनिट्स को बेचना नहीं होता है. छोटी अवधि में पैसों की जरूरत पूरी होती है.

Published - August 26, 2021, 03:55 IST