Loans: कोरोना की पहली लहर की ही तरह दूसरी लहर के बाद भी ऋणदाताओं (Lenders) के लिए होम लोन सबसे सुरक्षित एसेट बना हुआ है. वहीं दूसरी ओर, माइक्रोफाइनेंस पोर्टफोलियो दूसरी लहर से सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं. पर्सनल लोन, क्रेडिट कार्ड पर भी महामारी का असर हुआ है, लेकिन दूसरी लहर का इस पर कम प्रभाव पड़ा है. टाइम्स ऑफ इंडिया ने नोमुरा की स्ट्रेस्ड लोन को लेकर की गई एक स्टडी के आधार पर ये जानकारी दी है.
नोमुरा की रिपोर्ट के अनुसार, टॉप प्लेयर्स के लिए कोर मॉर्गेज पोर्टफोलियो (core mortgage portfolio) में तनाव (stress) 0.7% से 2.7% के बीच है.
पहली लहर में कोर मॉर्गेज बुक में उच्च तनाव के साथ डायवर्जेंट ट्रेंड (भिन्न प्रवृत्ति) रखने वाली दो कंपनियां एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस और पीएनबी हाउसिंग थीं.
दूसरी लहर में, हालांकि, उन्होंने इंडस्ट्री के अनुरूप तनावग्रस्त ऋणों (stressed loan) के साथ बेहतर प्रदर्शन किया. रिपोर्ट में न केवल बैड लोन पर बल्कि उन पर भी तनाव का अध्ययन किया गया है जहां कर्जदार ने चुकाने के लिए अधिक समय मांगा है.
नोमुरा की रिपोर्ट में कहा गया है मॉर्गेज की तुलना में, क्रेडिट कार्डों में विशेष रूप से महामारी की पहली लहर के दौरान उच्च तनाव (higher stress) देखा गया है.
हालांकि सैलरीड सेगमेंट के काफी हद तक अप्रभावित होने के कारण तनाव MFIs (माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूशन्स) की तुलना में कम था. दूसरी लहर का भी प्रभाव कम है.
रिपोर्ट में बताया गया है, माइक्रोफाइनेंस सेगमेंट में राइट-ऑफ 3-6% की सीमा में रहा है और नॉन परफॉर्मिंग एसेट (NPA) में पूर्व-कोविड स्तरों की तुलना में 8-14% की वृद्धि हुई है. माइक्रोफाइनेंस स्पष्ट रूप से सबसे अधिक प्रभावित हुआ है.
पहली लहर (वित्त वर्ष 21) के दौरान इसमें 7-16% का स्ट्रेस फॉर्मेशन और दूसरी लहर (Q1FY22) के दौरान 3-16% का तनाव देखा गया.
लेंडर्स के लिए क्रेडिट कार्ड की तुलना में, व्हीकल लोन सुरक्षित माना जाता है. हालांकि, इस सेगमेंट में मुख्य रूप से ‘कमाई और भुगतान’ (earn and pay) सेगमेंट (जैसे टैक्सी और बस ऑपरेटर) में चुनौतियां देखी गई.
लॉकडाउन के दौरान इस सेगमेंट पर सबसे ज्यादा असर पड़ा. नोमुरा ने कहा, ‘कुल मिलाकर 1-17% के एनपीए के साथ स्ट्रेस बिल्ड-अप 5-26% (पहली और दूसरी लहर) रहा.’