क्रेडिट कार्ड या लोन लेने के लिए क्रेडिट स्कोर सबसे इंपोर्टेंट फैक्टर है. इसलिए यदि आपका क्रेडिट स्कोर अच्छा है, यानी 730 या 740 से ज्यादा है, तो आपको कम इंटरेस्ट रेट पर लोन मिलेगा और आसानी से मल्टीपल क्रेडिट कार्ड मिल जाएंगे. अपनी क्रेडिट एलिजिबिलिटी और पोजीशन को समझने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप अपनी क्रेडिट रिपोर्ट और क्रेडिट स्कोर को बार-बार जांच करें. लेकिन कोई अपने क्रेडिट स्कोर को कैसे जान सकता है और वो इसे कहां चेक कर सकता है? आपके इस सवाल का जवाब है भारत में तीन क्रेडिट ब्यूरो काम कर रहे हैं – सिबिल, एक्सपेरियन और इक्विफैक्स. आप अपने क्रेडिट स्कोर को हर साल एक बार फ्री में या बहुत ही मामूली कॉस्ट देकर चेक कर सकते हैं.
क्रेडिट स्कोर
क्रेडिट स्कोर किसी व्यक्ति के लोन अमाउंट को भरने की क्षमता का एक माप है. कह सकते हैं कि आपका क्रेडिट स्कोर बताता है कि आप लिए हुए लोन को चुका पाएंगे या नहीं. एक क्रेडिट स्कोर एक 3 अंको की एक संख्या है जो 300 (सबसे कम) से 900 (उच्चतम) के बीच में होती है. क्रेडिट स्कोर निकालते समय, कई फैक्टर्स जैसे क्रेडिट हिस्ट्री, रीपेमेंट रिकॉर्ड, क्रेडिट पूछताछ आदि को ध्यान में रखा जाता है.
630 से ऊपर का क्रेडिट स्कोर रखने वाले किसी भी व्यक्ति को लोन देने के लिए या क्रेडिट कार्ड के लिए ठीक माना जाता है. लेकिन कम इंटरेस्ट रेट पर जल्दी से लोन सैंक्शन होने के लिए या जल्दी से क्रेडिट कार्ड पाने के लिए, स्कोर 720 और 900 के बीच होना चाहिए.
यहां मुख्य चार कारण बताए गए हैं कि आपको साल में कम से कम एक बार अपना क्रेडिट स्कोर क्यों चेक करना चाहिए:
1. अपनी स्थिति को जानें
रेगुलर मेडिकल चेकअप की तरह, अपने क्रेडिट स्कोर को समय-समय पर चेक करना भी उतना ही जरूरी है. अगर आपका क्रेडिट स्कोर अच्छा है, तो आपको कार लोन, पर्सनल लोन और यहां तक कि होम लोन भी कम इंटरेस्ट रेट पर मिल जाएगा. इसके अलावा, बैंक क्रेडिट कार्ड जारी कर सकता है और आपको उस पर ज्यादा क्रेडिट लिमिट मिलेगी. लेकिन अगर आपका स्कोर कम है, तो यह जरूरी है कि आप उस पर नजर रखें और उसे बेहतर करने की कोशिश करें. अगर आपका स्कोर 800 से ऊपर है तो यह बहुत ही अच्छा है. दूसरी ओर, 650 से कम का स्कोर आपके लोन अप्रूवल को थोड़ा मुश्किल बना देगा.
2. आसान लोन अप्रूवल
बैंक हमेशा उसके आवेदन को पहली प्राथमिकता देते हैं जिसका क्रेडिट स्कोर 750 से ऊपर है. यदि आप साल में एक बार अपना स्कोर चेक करते हैं तो आप आसानी से पता लगा सकते हैं कि क्या गलत हो रहा है. यदि आप अपने क्रेडिट स्कोर नियमित चेक करके उसे अच्छा बनाए रखते हैं, तो आपकी सभी फ्युचर लोन एप्लीकेशन बैंकों या लैंडर्स के कठिन सवालों का सामना किए बिना तेजी से पास हो जाएंगी.
3. क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेश्यो
क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेश्यो कुल क्रेडिट लिमिट के मुकाबले आपके द्वारा नियमित रूप से इस्तेमाल की जाने वाली क्रेडिट लिमिट का अनुपात है. चूंकि लैंडर आमतौर पर अधिकतम 30% -35% के भीतर CUR बनाए रखने वाले क्रेडिट कार्ड यूजर को उधार देना पसंद करते हैं, इस मार्क को तोड़ने से आपका क्रेडिट स्कोर कम हो सकता है.
यदि आप इस 30% -35% मार्क को बार-बार तोड़ते हैं, तो आप एक एडिशनल क्रेडिट कार्ड लेने के बारे में सोच सकते हैं, या फिर अपने बैंक से क्रेडिट लिमिट बढ़ाने के लिए रिक्वेस्ट कर सकते हैं. लेकिन आपको वो रेश्यो एक महीने में 35% से अधिक नहीं रखना चाहिए.
4. एरर का पता लगाएं
क्रेडिट ब्यूरो आमतौर पर आपके क्रेडिट कार्ड इश्यूअर और लैंडर द्वारा प्रोवाइड किए गए डेटा के आधार पर क्रेडिट रिपोर्ट बनाते हैं. क्रेडिट ब्यूरो या लैंडर की ओर से कोई भी गलती होने वजह से स्कोर गलत हो सकता है. इस तरह का गलत डेटा आपके क्रेडिट स्कोर पर नेगेटिव इफेक्ट डाल सकता है, और फ्यूचर में लोन लेने की आपकी एलिजिबिलिटी को प्रभावित करेगा. यदि आप समय-समय पर अपने क्रेडिट स्कोर को चेक करते हैं, तो कोई एरर होने पर आप आसानी से पता लगा सकते हैं और फिर इसे ठीक भी करा सकते हैं.
कैसे कैलकुलेट किया जाता है?
आम तौर पर, क्रेडिट एजेंसियां एप्लीकेंट के कई क्राइटेरिया के आधार पर स्कोर कैलकुलेट करती हैं. क्रेडिट स्कोर कैलकुलेट करते समय 5 मुख्य फैक्टर्स का मूल्यांकन किया जाता है. जो हैं – पेमेंट हिस्ट्री, कुल बकाया राशि, क्रेडिट हिस्ट्री, क्रेडिट के टाइप और नया क्रेडिट जारी करना. पेमेंट हिस्ट्री क्रेडिट स्कोर में 35% का योगदान देती है और यह स्कोर बताता है कि कोई व्यक्ति समय पर रीपेमेंट करता है या नहीं. कुल बकाया राशि का योगदान 30% होता है और स्कोर कैलकुलेट करने में क्रेडिट हिस्ट्री का 15% योगदान होता है. किसी व्यक्ति के कुल स्कोर को कैलकुलेट करने के लिए अंतिम दो फैक्टर्स में से प्रत्येक का 10% का वेटेज होता है.