Bandhan Bank से लेना चाहते हैं Loan तो आपको पहले पास करनी होगी परीक्षा, जानें डिटेल

कोरोना महामारी के दौर में हमने देखा कि माइक्रोक्रेडिट सेगमेंट के ज्यादातर ग्राहक अपनी किस्त जमा नहीं करा पाए.

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प्रोफेशनल लोन की ब्याज अक्सर इस्तेमाल की गई राशि पर निर्भर करता है न कि पूरी लोन राशि पर.

प्रोफेशनल लोन की ब्याज अक्सर इस्तेमाल की गई राशि पर निर्भर करता है न कि पूरी लोन राशि पर.

लोन प्राप्त करने के लिए परीक्षा पास करने की जरूरत की बात थोड़ी अजीब लग सकती है. किंतु, Bandhan Bank ठीक ऐसा ही कर रहा है. इस बैंक को छह साल पहले लाइसेंस प्राप्त हुआ था. इसके ज्यादातर ग्राहक ग्रामीण क्षेत्रों से आते हैं. बैंक अपने ग्राहकों को डिजिटल बैंकिंग के बारे में शिक्षा देता है.

बैंक की छटवीं वर्षगांठ के अवसर पर इसके एमडी और सीईओ चंद्र शेखर घोष ने बताया कि जब वे नए ग्राहक जोड़ते हैं, तो पहले उन्हें पंद्रह दिनों तक डिजिटल बैंकिंग के बारे में शिक्षा दी जाती है. उन्होंने कहा, “हम उन्हें डिजिटल तरीके से लेनदेन के बारे में बताते हैं और क्रेडिट अनुशासन व इसकी जरूरतों को समझाते हैं. जब वे लोन के लिए आवेदन करते हैं, तो उन्हें शिक्षित कर परीक्षा ली जाती है. यदि वे असफल रहते हैं, तो लोन अस्वीकार कर दिया जाता है.”

वे आगे कहते हैं, “कोरोना महामारी के दौर में हमने देखा कि माइक्रोक्रेडिट सेगमेंट के ज्यादातर ग्राहक केवल इसलिए अपनी किस्त जमा नहीं करा पाए, क्योंकि उन्हें फोन बैंकिंग की जानकारी नहीं थी, इसके बाद हमने उन्हें इसके बारे में शिक्षित किया.”

इसके बाद, ग्राहकों की जरूरतों को समझने के लिए उन्होंने डाटा एनालिटिक्स पर काम किया. वह बताते हैं, “जब ग्राहक लोन के लिए दूसरे बैंकों पर संपर्क करने लगे, तो हमने उनकी जरूरतों को समझने के लिए डाटा एनालिटिक्स की स्थापना की. इससे हमें अपने बिजनेस में विविधता लाने में मदद मिली.”

Salesforce India की चेयरपर्सन और सीईओ अरुंधति भट्टाचार्या घोष भी इन बातों का समर्थन करती हैं. वह कहती हैं, “जब हम डिजिटल बदलाव की ओर बढ़ रहे हैं, तब हमें इसके मानवीय पहलूओं को नहीं भूलना चाहिए.”

जब अंरुधति SBI में चेयरपर्सन थीं, तब उन्होंने ग्राहकों और अपने स्टाफ को डिजिटल बैंकिंग के बारे में शिक्षित करने का प्रयास किया. वह कहती हैं कि केवल मोबाइल और नेट बैंकिंग ही डिजिटल बैंकिंग नहीं है, इसका मतलब समझने में थोड़ी कमी रह गई है.

उन्होंने बड़े बड़े मॉल में SBI In Touch नाम से डिजिटल शाखाएं भी खोली थीं. वे चाहती थीं कि वहां ग्राहकों के साथ-साथ बैंककर्मी भी जाएं. इन शाखाओं में बड़े स्क्रीन और स्मार्ट टेबल लगे होते, जहां कस्टमर एग्जिक्यूटिव आपके सवालों का जवाब देते.

उनका आगे कहना है कि समाज में समानता लाने के लिए पहला कदम वित्तीय समावेशन का होता है. वह कहती हैं, “भारत अभी युवा देश है और जनसांख्यिकी लाभ उठाने के लिए हमें काफी कुछ करना है.”

Published - August 25, 2021, 02:23 IST