अगर आप क्रेडिट कार्ड के उपयोग कर रहे हैं तो आपको क्रेडिट कार्ड की पूरी तरह से जानकारी होनी चाहिए, वरना आपको ज्यादा पैसा देना पड़ सकता है. दरअसल क्रेडिट कार्ड की हर पेमेंट पीरियड के लास्ट आपको क्रेडिट कार्ड का स्टेटमेंट मिलता है. इसमें तय अवधि के दौरान आपके लेनदेन का ब्यौरा होता है. यदि आपको क्रेडिट कार्ड के बारे में अधिक जानकारी नहीं है, तो आप इस स्टेटमेंट में थोड़ा कंफ्यूज हो सकते हैं. क्रेडिट कार्ड का बिल पेमेंट करने से पहले आपको गैर-जरूरी शुल्कों, और ड्यू डेट वगैरह की जानकारी होनी चाहिए.
इस दिन आपको क्रेडिट कार्ड का स्टेटमेंट मिलता है. यदि आप तय समय में बिल भुगतान नहीं करते तो आपको बचत राशि पर ब्याज देना पड़ेगा. यह ब्याज स्टेटमेंट की दिनांक से आंका जाता है.
क्रेडिट कार्ड का उपयोग करने वालों को पेमेंट की तय अवधि से चूकना नहीं चाहिए. यदि आप चेक द्वारा भुगतान कर रहे हैं तो इसमें 2-3 दिन का वक्त लग सकता है. इसलिए तय अवधि से करीब हफ्ते भर पहले ही चेक जारी कर दें. अन्यथा आपको ज्यादा पेमेंट देना पड़ सकता है.
दो स्टेटमेंट डेट के बीच की अवधि को बिलिंग साइकल कहा जाता है. आमतौर पर यह 30 दिनों का होता है. स्टेटमेंट में आपके क्रेडिट कार्ड लेनदेन का डेट दी होती है. साथ ही, इसमें इंटरेस्ट, पे
पेनल्टी या लेट पेमेंट का चार्ज भी दिया होता है. किसी डिक्लाइन पेमेंट की जानकारी भी इसमें होती है.
RBI के नियमों के तहत, भुगतान दिनांक के तीन दिन के भीतर यदि पेमेंट प्राप्त नहीं होता तो, बैंक लेट फीस ले सकते हैं. यदि ग्रेस पीरियड में भुगतान नहीं किया जाता तो ब्याज अधिक लगता है.
यह एक बिलिंग साइकिल में दी जाने वाली संपूर्ण राशि होती है. इसमें ब्याज, लेट पेमेंट फीस, सेवा शुल्क, सालाना शुल्क और अन्य फीस शामिल होता है.
इसमें तय डेट तक जमा की जाने वाली मिनिमम राशि का जिक्र होता है. यह कुल देय राशि का एक निश्चित हिस्सा होता है. यदि इतनी राशि आप जमा नहीं करते तो आपको लेट फीस देना पड़ सकती है. किंतु, केवल मिनिमम राशि ही जमा करने पर, बाकी राशि पर आपको ब्याज देना पड़ता है. इसलिए, संभव हो तो पूरी राशि एक बार में जमा कर दें.