परिजन की मृत्यु के बाद उनके बैंक अकाउंट को चालू रखें या बंद करें?

मृतक के Bank Account को बंद करने में जल्दबाजी न करें क्योंकि इसमें कुछ ऐसी इनकम आती होगी जैसे कि फैमिली पेंशन, डिविडेंड, ब्याज जो परिवार के काम आएगी

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COVID-19 ने हमारी दुनिया बदल कर रख दी. वो बातें जिसके बारे में बोलना तो दूर हम सोचते भी नहीं थे अब उसके बारे में जानना जरूरी हो गया है. परिवार के सदस्य की मृत्यु के बाद उनके बैंक अकाउंट (Bank Account) को क्या जल्द से जल्द बंद कर देना चाहिए ? फी-ओनली इन्वेस्टमेंट एडवाइजर LLP के हर्ष रूंगटा कहते हैं कि मृतक के बैंक अकाउंट को बंद करने में जल्दबाजी न करें. क्योकिं इसमें कुछ ऐसी इनकम होगी जैसे कि फैमिली पेंशन, डिविडेंड, ब्याज आदि जो परिवार के काम आएगी. इसे बंद कर के फिर नए सिरे से अकाउंट खोलने की जगह बैंक में अर्जी देकर इस अकाउंट को एस्टेट अकाउंट बनवा लें. इसे ‘ Estate of Mr or Mrs … ‘ माना जाएगा. पैसे का फ्लो भी चलता रहेगा और अकाउंट बंद करवाने के चक्कर से भी आप बचेंगे.

बैंक अकाउंट बंद करने के लिए क्या करें ?

अगर बैंक अकाउंट (Bank Account) बंद करवाना है तो मृत व्यक्ति का नोटराइज्ड डेथ सर्टिफिकेट देना होगा. अगर नॉमिनी है तो नॉमिनी को सारे पैसे मिल जाएंगे जो इसे उत्तराधिकारी को सौंपेगा. लेकिन अगर नॉमिनी नहीं हैं तो परिवार का सदस्य जो उत्तराधिकार होगा उसे डेथ सर्टिफिकेट के साथ बैंक में अपने और मृत व्यक्ति के रिश्ते से जुड़े डॉक्यूमेंट पेश करने होंगे और इंडेमनिटी बॉन्ड भी बैंक मांग सकती है .

बैंक को जानकारी देनी जरूरी

RBI ने बैंकों को ऐसे मामले में नर्म रुख रखने के लिए कहा है.

बैंक को बताने के लिए कोई तय समय सीमा नहीं रखी गई है. जब परिवार मानसिक तौर पर तैयार हो तब ये काम किया जा सकता है. RBI के निर्देश के मुताबिक पैसे निकालने की अर्जी बैंक को 15 दिन में पूरी करनी होगी.

फिक्स्ड डिपॉजिट और बैंक लॉकर का क्या होगा?

हर बैंक के अपने नियम होते हैं. कुछ बैंक नॉमिनी को FD मेच्योरिटी के फुल टर्म तक रखने की इजाजत देते हैं. अगर सीनियर सिटीजन का FD है जिसमें ज्यादा ब्याज मिल रहा है तो उसे जारी रखने वाले को ब्याज किस रेट पर मिले वो उस बैंक के नियम के अनुसार तय होगा. इसी तरह बैंक लॉकर भी इसी बात पर निर्भर करेंगे कि आपके अकाउंट के सरवाईवरशिप क्लॉज में क्या लिखा है. ‘Either Or Survivor’ अकाउंट में साफ है जो जीवित रहेगा उसे मिलेगा. नॉमिनी और उत्तराधिकारी की भूमिका वही रहेगी जो बैंक अकाउंट के केस में रहती है.

जॉइंट अकाउंट में ध्यान रखें

हर्ष रूंगटा के मुताबिक जॉइंट अकाउंट होल्डर्स को लगता है कि अगर एक नहीं रहा तो दूसरा अपने आप इस अकाउंट को चलाएगा. ये तभी मुमकिन है जब सरवाईवरशिप क्लॉज में ये लिखा हो वर्ना जॉइंट होल्डर को भी मुश्किल हो जाती है. इसलिए ये बेहद जरूरी है कि आप जब भी बैंक अकाउंट (Bank Account) खोलें तो नॉमिनी और सरर्वाइवरशिप क्लॉज को ध्यान से समझकर भरें .

फी ओनली इन्वेस्टमेंट एडवाईजर LLP के हर्ष रूंगटा से बरी बातचीत इस वीडियो में

Published - June 13, 2021, 05:20 IST