डोमेस्टिक रेटिंग एजेंसी ब्रिकवर्क की मंगलवार को आई एक रिपोर्ट में के मुताबिक गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों-माइक्रोफाइनेंस संस्थानों (NBFC-MFI) का ग्रॉस कर्ज पोर्टफोलियो चालू वित्त वर्ष में 10-15% बढ़ने की संभावना है. हालांकि, NBFC-MFI का पोर्टफोलियो एट रिस्क (PAR) इस वित्त वर्ष में 5.5-6% तक बढ़ सकता है. जो पिछले वर्ष में 5.4% रहा था.
फाइनेंशियल ईयर 2021 में एमएफआई के लिए बढ़ा पीएआर लेवल
रेटिंग एजेंसी के मुताबिक NBFC-MFI के लिए ग्रॉस लोन पोर्टफोलियो (GLP) फाइनेंशियल ईयर 2021 में सालाना आधार पर केवल 11% बढ़ा था. फाइनेंशियल ईयर 2022 में NBFC-MFI के लिए GLP विकास पथ पर लौटने के कारण लगभग 10-15% की वृद्धि दर्ज करने की उम्मीद है. इकोनॉमिक गतिविधियों में एक्सपेक्टेड सुधार के कारण डिस्ट्रीब्यूशन सेवायें जो महामारी के कारण रुकी हुई थीं में अच्छी ग्रोथ वापस आयी है.
वर्ष की पहली छमाही में लॉकडाउन के कारण वित्त वर्ष 2021 में MFI इंडस्ट्री के लिए पोर्टफोलियो एट रिस्क (PAR) का स्तर बढ़ गया. जैसा कि माइक्रोफाइनेंस ग्राहकों के साथ लेनदेन कैश इंटेंसिव है, फील्ड विजिट की जरूरत होती है. लॉकडाउन के चलते कलेक्शंस पर काफी बुरा प्रभाव पड़ा है, जिससे एसेट क्वालिटी भी प्रभावित हुई.
रेटिंग एजेंसी की माने तो मिनिस्ट्री ऑफ माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम इंटरप्राइसेस (MSME) उधारकर्ताओं के लिए लोन के प्रवाह को बढ़ाने के लिए हाल ही में आरबीआई की घोषणाओं के साथ-साथ एमएफआई को दिए गए लोन को स्मॉल फाइनेंस बैंकों द्वारा प्रायोरिटी सेक्टर लैंडिंग (PSL) के तहत माना जाने वाले लोन देने की अनुमति दी गई है. जो MFI द्वारा दिए जाने वाले लोन को बढ़ावा देगा.
फाइनेंशियल ईयर 2022 में PAR का स्तर रहेगा हाई
रिपोर्ट के मुताबिक, “फाइनेंशियल ईयर 2022 में, देश में महामारी की स्थिति के चलते अनिश्चितताओं के कारण, PAR का स्तर लगभग 5.5-6% पर ऊंचा रहने की उम्मीद है.” ये देखा गया है कि कुछ जोखिम जैसे कि हाई टिकट साइज लोन से स्पष्ट रूप से अधिक लोन, कुछ राज्यों जैसे गोवा, महाराष्ट्र, गुजरात, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल में हाल ही में आए चक्रवात के दौरान उसके प्रभाव और कृषि लोन माफी की कोई और घोषणा एसेट क्वालिटी में बाधा उत्पन्न कर सकती है.
एजेंसी के मुताबिक, असम में हालिया घटनाक्रम, सरकार द्वारा असम माइक्रोफाइनेंस इंसेंटिव एंड रिलीफ स्कीम (AMFIRS) 2021 की घोषणा के साथ, राज्य के संग्रह को प्रभावित करेगा. इस तरह की योजनाएं बोरोएर्स लोन को प्रभावित कर सकती हैं. इसकी वजह है कि वे पूरी तरह से बट्टे खाते में डालने की उम्मीद में लोन चुकाना बंद कर देते हैं. इसलिए, इससे राज्य में पीएआर का स्तर बढ़ जाएगा.
इसी के साथ ये भी उम्मीद है कि फाइनेंशियल ईयर 2022 में एमएफआई की प्रॉफिटेबिलिटी दबाव में रहेगी, क्योंकि महामारी की दूसरी लहर ने ग्रामीण क्षेत्रों को भी प्रभावित किया. राज्य स्तरीय मिनी लॉकडाउन और स्थानीय प्रतिबंध इस बार उतने कड़े नहीं रहे हैं. हालांकि, ग्रामीण क्षेत्रों में महामारी का प्रसार चिंता का एक प्रमुख कारण रहा है.
इसके अलावा, एडजॉरमेंट और अन्य उपायों के अभाव में, ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका बुरी तरह प्रभावित हुई है. एजेंसी के मुताबिक, “इन कारकों के परिणामस्वरूप एमएफआई को लोन कलेक्शन और वसूली में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, जिसके परिणामस्वरूप लोगों के लिए उच्च लोन लागत हो सकती है.”