सभी सरकारी बैंकों का निजीकरण होगा या नहीं, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किया साफ

FM Nirmala Sitharaman latest news- फाइनेंशियल सेक्टर में भी पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइज की मौजूदगी है और रहेगी. सभी सरकारी बैंकों का निजीकरण नहीं हो रहा है.

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वित्त मंत्रालय ने ट्वीट कर सीतारमण के हवाले से कहा कि वित्तीय क्षेत्र में प्रौद्योगिकी की वजह से वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिल रहा है. वित्तीय प्रौद्योगिकी कंपनियां इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं.

वित्त मंत्रालय ने ट्वीट कर सीतारमण के हवाले से कहा कि वित्तीय क्षेत्र में प्रौद्योगिकी की वजह से वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिल रहा है. वित्तीय प्रौद्योगिकी कंपनियां इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं.

सरकार की ओर से बैंकों के निजीकरण की घोषणा किए जाने के विरोध में कर्मचारियों और अधिकारियों की दो दिवसीय हड़ताल का आह्वान किया गया. बैंक हड़ताल का आज दूसरा दिन है. हड़ताल के दूसरे दिन बैंक सेवाओं से जुड़े करीब 50 हजार कर्मचारी, अधिकारी हड़ताल पर रहे. बैंकों से नकदी निकालने, चेक क्लियरेंस और दूसरे कार्यों पर असर देखा गया. इस बीच, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala sitharaman) ने साफ कर दिया है कि सभी सरकारी बैंकों का निजीकरण किया जाएगा. बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले महीने आम बजट पेश करते हुए सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण की घोषणा की है.

FM Nirmala sitharaman ने कहा कि फाइनेंशियल सेक्टर में भी पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइज की मौजूदगी है और रहेगी. सभी सरकारी बैंकों का निजीकरण नहीं हो रहा है. केवल उन बैंकों की पहचान की गई है जो अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं और पूंजी नहीं जुटा पा रहे हैं. जब ऐसा होगा कर्मचारियों के हित की रक्षा की जाएगी.

क्यों हो रहा बैंकों का निजीकरण?

प्रस्तावित निजीकरण के खिलाफ नौ यूनियनों द्वारा बुलाए गए दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी बैंक हड़ताल के बीच मीडिया को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, निजीकरण का फैसला एक अच्छी तरह से सोचा गया फैसला है. हम चाहते हैं कि बैंक अधिक इक्विटी प्राप्त करें. हम चाहते हैं कि बैंक देश की आकांक्षाओं को पूरा करें.

स्टाफ के हितों की रक्षा की जाएगी

सीतारमण ने कहा, जिन बैंकों के निजीकरण की संभावना है, उसके प्रत्येक स्टाफ के हितों की रक्षा की जाएगी. मौजूदा कर्मचारियों के हित को हर कीमत पर संरक्षित किया जाएगा. सार्वजनिक क्षेत्र की उद्यम नीति बहुत स्पष्ट रूप से कहती है कि हम पीएसबी के साथ बने रहेंगे. श्रमिकों के हितों की पूरी तरह से रक्षा की जाएगी.

हड़ताल की क्या है वजह?
पिछले चार सालों में 14 सरकारी बैंकों का विलय किया गया है. इसमें कई बैंकों को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में मिलाया गया, उसी तरह से विजया बैंक और देना बैंक को बैंक ऑफ बड़ौदा में मिला दिया गया था. जनवरी 2019 में एलआईसी ने आईडीबीआई बैंक की 51 फीसदी हिस्सेदारी ख़रीदी थी जिसको कैबिनेट ने अगस्त 2018 को मंजूरी दी थी. एलआईसी अभी सरकारी हाथों में है इसलिए आईडीबीआई को पूरी तरह निजी बैंक नहीं माना जाता है.

Published - March 16, 2021, 08:24 IST