Doller Placement Window: विश्व के बड़े बहुराष्ट्रीय बैंकों ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को विदेशी मुद्रा प्रवाह के लिए एक ‘डॉलर प्लेसमेंट विंडो’ खोलने के लिए कहा है. उन्होंने कहा है कि इसकी काफी आवश्यकता है और इसके अलावा टी-प्लस-वन (टी+1) के साथ विदेशी मुद्रा व्यापार का विस्तार भी किया जाए. भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI-Securities and Exchange Board of India) ने टी प्लस वन नई सेटलमेंट व्यवस्था का रोडमैप भी पेश कर दिया है. इस व्यवस्था के तहत शेयर बाजार में पैसा लगाने वाले निवेशकों को एक दिन के अंदर ही भुगतान कर दिया जाएगा.
इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के अनुसार वह बैंक जो विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के संरक्षक के रूप में कार्य करते हैं, उन्हें डर है कि डॉलर के एकत्रित होने से नियामक जोखिम सीमा का उल्लंघन हो सकता है. इस मामले को लेकर बैंकरों और वरिष्ठों के बीच चर्चा की गई थी.
एक अधिकारी ने बताया कि आरबीआई के अधिकारियों ने पिछले कुछ हफ्तों में दो बैठकों में इस मुद्दे पर बात की है. वर्तमान में बीएसई पर टी प्लस 2 (T+2) की व्यवस्था है यानी वास्तविक कारोबार के बाद निपटान करने में दो दिन का वक्त लगता है, जबिक टी प्लस वन में एक दिन के अंदर यह काम हो जाएगा.
टी प्लस वन व्यवस्था में डॉलर को उसी दिन रुपए में बदलना होगा जिस दिन उसे डॉलर प्राप्त हुआ है. अगर कस्टोडियन बैंक ऐसा नहीं कर पाती हैं या डॉलर का कोई खरीदार नहीं मिल पा रहा है तो डॉलर को अपने प्रधान कार्यालय या विदेशी शाखा में इसे जमा करा देंगी.
टी प्लस वन नियम 25 फरवरी 2022 से लागू होगा. पहले यह 1 जनवरी 2022 से लागू होना था. शुरुआती दौर में इसमें 100 के करीब कंपनियों को शामिल किया जाएगा. इसके बाद मार्च से 500 कंपनियां इसमें शामिल की जाएंगी. इस तरह धीरे धीरे 500-500 कंपनियों को बढ़ाया जाएगा.