कोविड -19 महामारी ने बहुत से लोगों के फाइनेंस को प्रभावित किया है, लेकिन यह उन लोगों के लिए और मुश्किल भरा साबित हुआ, जिन्होंने अपनी नौकरी खो दी या सैलरी में कटौती का सामना किया. इस कैटेगरी के ज्यादातर लोगों के पास EMI पर चुकाने के लिए होम लोन या कार लोन था. महामारी के बाद अचानक फाइनेंशियल उथल-पुथल जैसे सैलरी-कट और बेरोजगारी ने इन लोगों के लोन (home loan) चुकाने के पैटर्न को डिस्टर्ब कर दिया.
होम लोन (home loan) 10 से 30 साल का लॉन्ग टर्म कमिटमेंट है. इस महामारी के दौरान लोन लेने वालों की वित्तीय स्थिति में कई तरह की उथल-पुथल देखी जा सकती है. इसलिए, इस तरह का लॉन्ग कमिटमेंट करते समय जितना पॉसिबल हो उतनी फ्लेक्सिबिलिटी देखनी चाहिए. इसलिए लैंडर सिलेक्ट करते समय EMI ऑप्शन को समझदारी से चुनना चाहिए.
EMI रीपेमेंट के तरीके कई फैक्टर के आधार पर अलग-अलग होते हैं और आपको लोन एग्रीमेंट पर साइन करने से पहले अपने रीपेंमेंट करने के सभी विकल्पों का पता लगाना चाहिए. कन्वेंशन EMI ऑप्शन में आप अपने लैंडर को हर महीने एक निश्चित राशि का भुगतान करते हैं. लेकिन ऐसी चीजें हैं जो शायद आपको न पता हों.
यदि आप फ्लेक्सीपे लोन (Flexipay loan) चुनते हैं, तो आपका EMI रीपेमेंट बाद में शुरू किया जाएगा. यहां, बोरोअर को लगभग 36 से 60 महीने की मोहलत अवधि (मोरेटोरियम पीरियड) का विकल्प दिया जाता है, जिसके दौरान बोरोअर (उधारकर्ता) किसी भी EMI का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी नहीं होता है. हालांकि, प्री- EMI इंटरेस्ट का भुगतान अभी भी करना होगा. जब मोरेटोरियम खत्म हो जाता है, तो आपकी EMI साइकिल शुरू हो जाएगी और समय के साथ रीपेमेंट अमाउंट बढ़ जाएगा. यह सब लोन एग्रीमेंट पेपर में पहले से तय होता है और बोरोअर आने वाले बदलावों से अच्छी तरह वाकिफ होता है. इस प्रकार का लोन केवल 21- 45 साल की उम्र के सैलरी और वर्किंग प्रोफेशनल के लिए उपलब्ध है.
ऐसे कई लोग हैं जो होम लोन सैंक्शन होने के दौरान बैंक के साथ चालू खाता (करंट अकाउंट) खोलने का निर्णय लेते हैं. इस चालू खाते में रखा गया अमाउंट लोन पर लगने वाले इंटरेस्ट को कम कर सकता है. इंटरेस्ट लायबिलिटी करंट अकाउंट में अवेलेबल सरप्लस फंड की तुलना में कम होती है. होम लोन के इंटरेस्ट की कैलकुलेशन लोन के आउटस्टैंडिंग बैलेंस में से बोरोअर के करंट अकाउंट के बैलेंस को घटाने के आधार पर की जाती है. इसके अलावा, कोई अपनी सुविधानुसार करंट अकाउंट में से पैसे निकालने या जमा करने के लिए स्वतंत्र है.
उन प्लान को चुनना आम बात है जहां रीपेमेंट के शुरुआती कुछ सालों के बाद EMI तेजी से बढ़ती है. EMI बढ़ने से भुगतान की गति भी बढ़ जाती है. यह बदले में, इंटरेस्ट के बोझ को कम करता है क्योंकि ऐसे में लोन के समय से पहले खत्म होने की संभावना रहती है. ऐसे लोन में, बोरोअर शुरुआती सालों में अपेक्षाकृत अधिक लोन के मुकाबले कम EMI का भुगतान करना चुन सकता है. EMI बढ़ाने का कॉन्सेप्ट सीधे आपकी इनकम में वृद्धि से जुड़ा है. क्योंकि समय के साथ इनकम बढ़ती है. लेकिन यदि ऐसा नहीं होता है तो रीपेमेंट करना मुश्किल हो सकता है.
इस लोन में समय के साथ EMI वैल्यू कम होती है. इसका मतलब है कि शुरुआती सालों में EMI ज्यादा होती है और जैसे-जैसे लोन की अवधि आगे बढ़ती है, EMI कम होती जाती है. शुरुआत में ज्यादा EMI का मतलब जाहिर तौर पर शुरुआती सालों में ज्यादा इंटरेस्ट देना है. इस तरह की EMI रीपेमेंट स्ट्रेटजी उन लोगों के लिए सबसे अच्छा काम करती है जो सक्षम हैं और जितनी जल्दी हो सके लोन चुकाना चाहते हैं. जिनका प्राइमरी गोल लोन रीपेमेंट है उनके लिए ये एक अच्छा विकल्प है.
जब होम लोन देने की बात आती है तो लैंडर्स के पास नियमों और शर्तों की एक लिस्ट होती है. यह दोनों पक्षों के लिए एक लंबा कमिटमेंट/रिस्क है. यदि बोरोअर समय पर EMI का भुगतान करने में रेगुलर हैं, तो कुछ लैंडर्स उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए इन्सेन्टिव ऑफर करते हैं. कई लैंडर्स कुछ EMI माफ कर देते हैं यदि बाकी का भुगतान नियमित रूप से किया गया हो. अगर आप होम लोन की तलाश में हैं, तो ऐसे ऑफर्स पर नजर रखें. कोई फर्क नहीं पड़ता कि ये EMI रीपेमेंट ऑप्शन कितने फ्लेक्सिबल नजर आए, आपका अंतिम लक्ष्य हमेशा होम लोन को जल्द से जल्द चुकाना होना चाहिए. हमेशा लोन प्रीपेमेंट आपका लक्ष्य होना चाहिए. यह न केवल लोन के तकनीकी पहलुओं (इंटरेस्ट रेट या EMI वैल्यू) को कम करेगा बल्कि आपको हमेशा ट्रैक पर रखेगा. लोन डिफॉल्ट खतरनाक है इस स्थिति से हमेशा बचें.