Debt: ज्यादातर लोग जरूरत पड़ने पर ही लोन लेते हैं, लेकिन कई बार कर्ज का बोझ बढ़ जाता है. लोन की किस्त तब और ज्यादा भारी पड़ने लगती है, जब आप पर पहले ही अधिक मासिक खर्च का बोझ हो. आप कर्ज का जाल में फंस जाते हैं. यदि आमदनी की तुलना में अधिक कर्ज हो जाने से आप परेशान हैं तो इन बातों को समझिए, ताकि आप अपने पैसे का बेहतर प्रबंधन कर सकें.
सबसे पहले आपको अपने विभिन्न लोन की सूची बनानी चाहिए. इनमें आपके पर्सनल लोन, कार लोन, एजुकेशन लोन वगैरह शामिल हो सकते हैं. आपको इन पर लग रहे ब्याज, मासिक किस्त और इनकी अवधि के बारे में स्पष्ट जानकारी होनी चाहिए.
कर्ज को दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है, गुड लोन और बैड लोन. जैसे होम लोन, एजुकेशन लोन, मेडिकल इमरजेंसी लोन को स्वीकार्य लोन मान सकते हैं.
भले ही इनसे आपको अभी परेशानी हो रही हो, लेकिन लंबी अवधि में यह आपके लिए निवेश की तरह हैं. दूसरी ओर, अधिक क्रेडिट कार्ड बिल, जिस पर आपको ज्यादा ब्याज देना पड़ रहा है, को बैड लोन कह सकते हैं.
यह देखें कि किस कर्ज पर आपको ज्यादा ब्याज देना पड़ रहा है, और फिर उन्हें पहले चुकाने की कोशिश करें. Fintoo के फाउंडर मनीष पी हिंगर का कहना है, “सबसे पहले अधिक ब्याज दरों वाले लोन को चुकाना चाहिए.
इनमें क्रेडिट कार्ड, पर्सनल या ऑटो लोन शामिल किए जा सकते हैं. यदि आपको किसी तरह का बोनस, इंसेंटिव मिलता है तो इसका इस्तेमाल लोन की बड़ी राशि चुकाने में करें. इससे आप ब्याज के रूप में दी जा रही राशि को बचा पाएंगे.”
कर्ज भुगतान की एक योजना तैयार करें. इस दौरान मेडिकल या किसी अन्य तरह की इमरजेंसी का भी ख्याल रखें. एक बार प्लान तैयार हो जाए, तो उस पर कायम रहें.
कोशिश करें कि नया लोन लेने से पहले पुराने लोन को चुकता कर दें. यदि आप ऐसा नहीं करेंगे तो आप कभी भी कर्ज मुक्त नहीं हो पाएंगे.
किसी लुभावने ऑफर चक्कर में पड़कर लोन न लें. Kotak Mahindra Asset Management के हेड (सेल्स एंड मार्केटिंग) मनीष मेहता का कहना है, “ आमदनी – निवेश = खर्च, को अपना मंत्र बनाए. बुद्धिमानी से योजना बनाते हुए, छोटी, मध्यम और लंबी अवधि के लिए निवेश प्लान बनाएं.
मकान जैसी अचल संपत्ति के लिए लोन लेना ठीक है, लेकिन यह भी ज्यादा नहीं होना चाहिए.”
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