Credit Growth: देश के कमर्शियल बैंकों के क्रेडिट देने के आंकड़ों में वृद्धि आंकी गई है. भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार फाइनेंस बैंक जो कर्ज दे रहे हैं साल दर साल उसमें इजाफा हो रहा है. जिस वजह से 8 अक्टूबर 2021 तक इसमें 6.47 प्रतिशत की वृद्धि होने के साथ ये 110.3 ट्रिलियन रुपये हो गया है. हालांकि ये अब भी कोविड काल से पहले के स्तर से नीचे ही है. बिजनेस स्टैंडर्ड की खबर के मुताबिक साल 2019 के अक्टूबर में ये 8.9 प्रतिशत तक था.
आमतौर पर अक्टूबर का महीना वित्तीय वर्ष की दूसरी छमाही की शुरुआत के रूप में देखा जाता है. जब कॉरपोरेट्स, व्यवसायों और रिटेल क्षेत्र में कर्ज की मांग बढ़ना शुरू हो जाती है. और ये सेक्टर लोन लेने की तरफ बढ़ते हैं.
बिजनेस स्टेंडर्ड ने केयर रेटिंग्स के हवाले से जानकारी दी कि लॉकडाउन खुलने के बाद से भारत की इकोनॉमी अब उठती हुई नजर आ रही है.
केयर रेटिंग्स ने ये विश्लेषण बीत दस सालों के अध्ययन के आधार पर दिया है. ये अध्ययन हर साल की दूसरी छमाही में क्रेडिट पर किया गया.
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि दूसरी छमाही में अर्थव्यवस्था में और तेजी आने के साथ, यह उम्मीद की जा सकती है कि वित्त वर्ष 2022 तक लोन लेने की मांग में भी तेजी आएगी.
एक्सपर्ट्स के मुताबिक क्रेडिट की डिमांड बढ़ने के साथ इस सेक्टर की ग्रोथ 8 से 10 प्रतिशत तक बढ़ सकती है.
बिजनेस स्टैंडर्ड के अनुसार इस साल बैंकिंग से जुड़े अलग अलग सेगमेंट में वृद्धि मिली जुली रही है. खासतौर से डिपोजिट्स में काफी कमी आंकी गई है.
आरबीआई के आंकड़े के अनुसार साल दर साल के आधार पर डिपॉजिट का प्रतिशत 10.16% तक बढ़ा है और अब 157.55 करोड़ तक पहुंच गया है.
इसके बावजूद ये तेजी एक साल पहले के 10.5 प्रतिशत की तुलना में कम है. लेकिन 2019 से तुलना करने पर ये 9.8 प्रतिशत तक ज्यादा है.