क्रेडिट ग्रोथ में स्लोडाउन और लोन की यील्ड में गिरावट से बैंक (Banks) जूझ रहे हैं. कम ब्याज दरों के कारण ये गिरावट देखी जा रही है. लिस्टेड बैंकों की ग्रॉस इंटरेस्ट इनकम Q2FY22 में लगातार दूसरी तिमाही में सिकुड़ गई, जबकि कोर अर्निंग, या प्री-प्रोविजनिंग प्रॉफिट, दूसरी तिमाही में साल-दर-साल (YoY) 1.5% कम हो गई. इस वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में इसमें साल-दर-साल 10.1% की बढ़ोतरी देखी गई थी.
हालांकि, जुलाई सितंबर में बैंक ऑलटाइम हाई क्वार्टरली नेट प्रॉफिट पोस्ट करने में सफल रहे. इसकी वजह इंटरेस्ट एक्सपेंस के कम होने और बैड लोन की लोअर प्रोविजनिंग है. Q2FY22 की दूसरी तिमाही में बैंकों के कम्बाइन्ड इंटरेस्ट एक्सपेंसेज सालाना आधार पर 6.2% कम थे, जबकि बैड लोन के लिए प्रोविजन 34% कम हो गए. लगभग 34,000 करोड़ रुपए की प्रोविजनिंग, कम से कम पांच वर्षों में सबसे कम थी.
जुलाई-सितंबर में अपने परिणाम घोषित करने वाले 28 लिस्टेड बैंकों ने दूसरी तिमाही में 39,643 करोड़ रुपए का रिकॉर्ड क्वार्टरली नेट प्रॉफिट दर्ज किया, जो एक साल पहले के 26,844 करोड़ रुपए से 48% से ज्यादा है.
इसकी तुलना में, ग्रॉस इंटरेस्ट इनकम YoY बेसिस पर 1% कम होकर 2.84 ट्रिलियन रुपए रही, जबकि ग्रॉस रेवेन्यू YoY बेसिस पर Q2FY22 में 2% बढ़ गया.
उनका प्री-प्रोविजनिंग ऑपरेटिंग प्रॉफिट सालाना आधार पर 1.5 फीसदी घटकर दूसरी तिमाही में छह-तिमाही के निचले स्तर 87,000 करोड़ रुपए पर आ गया. अन्य आय को छोड़कर, बैंकों का कोर ऑपरेटिंग प्रॉफिट दूसरी तिमाही में 25% कम रहा. ये पिछली 14 तिमाहियों में उनका सबसे खराब प्रदर्शन है.
जेएम फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशनल इक्विटी के मैनेजिंग डायरेक्टर और चीफ स्ट्रैटेजिस्ट धनंजय सिन्हा ने कहा, ‘
बैंकों की आय में बढ़ोतरी मुख्य रूप से जमा पर ब्याज कम होने और बैड लोन के कम प्रोविजन की वजह से हुई है. ओवरऑल क्रेडिट में लो सिंगल डिजिट-ग्रोथ और यील्ड या लोन पर कम इंटरेस्ट ने कोर अर्निंग प्रेशर में हैं.