आपके बिजनेस की मुश्किलों को दूर कर सकते हैं ये बिजनेस लोन

वर्किंग कैपिटल लोन एक तरह का स्मॉल बिजनेस लोन है जिसका इस्तेमाल किसी बिजनेस के रोजाना के कैश फ्लो की कमी को दूर करने के लिए किया जाता है.

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टर्म लोन का इस्तेमाल आमतौर पर कैपिटल एक्सपेंडिचर को फाइनेंस करने के लिए किया जाता है. लैंडर तय रकम का एकमुश्त भुगतान करता है

टर्म लोन का इस्तेमाल आमतौर पर कैपिटल एक्सपेंडिचर को फाइनेंस करने के लिए किया जाता है. लैंडर तय रकम का एकमुश्त भुगतान करता है

इस महामारी के समय में, अपने बिजनेस एंटरप्राइज के लिए फंड जुटाना कई बार मुश्किल हो जाता है. एक बिजनेस ओनर के तौर पर, आप अपने बिजनेस की जरूरतों को पूरा करने के लिए फंड जुटाने की सबसे अच्छी रणनीति के बारे में सोच सकते हैं, खासकर आज के कठिन समय में. बिजनेस से जुड़ी आवश्यकताएं कई तरह की हो सकती हैं जमीन के अधिग्रहण से लेकर किसी कारखाने या दुकान को लीज पर देने से लेकर नई मशीनरी के अधिग्रहण, वर्किंग कैपिटल की जरूरत और बेसिक ऑपरेशनल एक्सेपेंस जैसे ओवरहेड और सैलरी तक कुछ भी हो सकती हैं.

हालांकि, यह ध्यान रखना जरूरी है कि भारत में कई तरह के बिजनेस लोन (Business Loan) उपलब्ध हैं, जिनमें से प्रत्येक एक निश्चित स्थिति के लिए सबसे उपयुक्त है. आइए आठ अलग-अलग तरह के बिजनेस लोन पर एक नजर डालें जो आपकी जरूरतों को पूरा कर सकते हैं:

टर्म लोन

टर्म लोन बिजनेस फंडिंग के लिए खास तौर से इस्तेमाल किया जाता है. लोन सुरक्षित या असुरक्षित हो सकता है. बिजनेस की क्रेडिट हिस्ट्री उपलब्ध रकम को निर्धारित करती है. इसका टर्म फिक्स्ड है, असुरक्षित बिजनेस लोन के लिए एक से पांच साल और सुरक्षित कंपनी लोन के लिए 15 से 20 साल तक. टर्म लोन का इस्तेमाल आमतौर पर कैपिटल एक्सपेंडिचर को फाइनेंस करने के लिए किया जाता है. लैंडर तय रकम का एकमुश्त भुगतान करता है.

एंटरप्रेन्योरल या स्टार्टअप लोन

स्टार्ट-अप लोन स्टार्टअप बिजनेस के लिए होते हैं. बिजनेस एक्सपीरियंस की कमी के कारण, इन लोन के लिए आवेदकों के पास अपने बिजनेस की एक शानदार क्रेडिट हिस्ट्री नहीं होती. इसलिए, उधारकर्ता(बोरोअर) की बिजनेस लोन एलिजिबिलिटी निर्धारित करते समय, लैंडर बोरोअर की पर्सनल क्रेडिट हिस्ट्री और बोरोअर की बिजनेस क्रेडिट प्रोफाइल दोनों पर विचार करते हैं.

लोन अमाउंट, टेन्योर और इंटरेस्ट रेट निर्धारित करते समय वर्तमान टर्नओवर डेटा और दूसरी फाइनेंशियल इनफार्मेशन का भी आकलन किया जाता है. बिजनेस स्टेब्लिश होना चाहिए, और आवेदक को बिजनेस एक्जिस्टेंस और रजिस्ट्रेशन को स्टेब्लिश करने वाले डॉक्युमेंट प्रोवाइड कराने होते हैं.

वर्किंग कैपिटल के लिए लोन

वर्किंग कैपिटल लोन एक तरह का स्मॉल बिजनेस लोन है जिसका उपयोग किसी बिजनेस के रोजाना के कैश फ्लो की कमी को दूर करने के लिए किया जाता है. यह एक फर्म के संचालन के लिए आवश्यक कैश फ्लो बैलेंस मेंटेन रखता है. इसके अलावा, इस लोन का इस्तेमाल ऑफ-सीजन के दौरान कैश की कमी को दूर करने या पीक सीजन के दौरान मांग को पूरा करने के लिए किया जा सकता है. ज्यादातर एलिजिबल एप्लीकेंट सर्विस प्रोवाइडर, मैन्युफैक्चरर, होलसेलर, मर्चेंट या एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट ट्रेडर
होते हैं.

SME के लिए प्रॉपर्टी पर लोन

SME लोन के केस में, आवेदक को बिजनेस की जरूरतों के लिए फाइनेंस प्राप्त करने के लिए अपनी प्रॉपर्टी गिरवी रखनी होती है. आवेदक अपनी रेजिडेंशियल या कमर्शियल रियल एस्टेट पर ये लोन ले सकते हैं. लैंडर्स प्रॉपर्टी की मौजूदा मार्केट वैल्यू का 70% तक फाइनेंस कर सकते हैं. प्रॉपर्टी का टाइटल क्लियर और अनइनकम्बर्ड होना चाहिए. इसके अलावा, गिरवी रखी गई प्रॉपर्टी लंबित मुकदमेबाजी से मुक्त होनी चाहिए. लोन देने वाली संस्था के नियमों और शर्तों के आधार पर इन लोन की अवधि 15 से 20 साल तक होती है.

इनवॉइस फाइनेंसिंग

इनवॉइस फाइनेंसिंग को इनवॉइस डिस्काउंटिंग या फैक्टरिंग के तौर पर जाना जाता है. ये फाइनेंसिंग उन छोटी फर्मों के लिए आदर्श है जो ग्राहकों को इनवॉइस भेजने और उनसे पेमेंट रिसीव करने के बीच समय अंतराल का सामना करती हैं. बैंकिंग इंस्टीट्यूशन इनवॉइस अमाउंट के बदले में एडवांस फंड देता है. लैंडर इनवॉइस वैल्यू का 80% तक फाइनेंस कर सकते हैं. एक बार जब बिजनेस पेमेंट रिसीव कर लेता है, तो वो तय अवधि और ब्याज दर के अनुसार लोन चुकाता है.

इक्विपमेंट फाइनेंसिंग

आमतौर पर, मैन्युफैक्चरिंग एंटरप्राइजेज इक्विपमेंट फाइनेंसिंग या मशीनरी लोन लेते हैं. मैन्युफैक्चरिंग यूनिट को संचालित करने के लिए महंगे इक्विपमेंट की जरूरत होती है. और, उपलब्ध सभी तरह के कंपनी लोन में, इक्विपमेंट फाइनेंस सबसे पसंदीदा है. ऐसा इसलिए है क्योंकि मशीनरी लोन यूनीक हैं क्योंकि उन्हें संबंधित इक्विपमेंट के कॉलेटरलाइजेशन और किसी अन्य प्रकार की सुरक्षा की आवश्यकता होती है. इन लोन पर ब्याज दरें टर्म लोन की तुलना में कम हो सकती हैं.

महिलाओं के लिए बिजनेस लोन

कुछ फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन वुमेन आंत्रप्रेन्योर के लिए यूनिक बिजनेस लैंडिंग प्रोग्राम प्रोवाइड करते है. यहां तक कि भारत सरकार के पास महिलाओं के लिए स्मॉल से मीडियम साइज एंटरप्राइजेज शुरू करने के लिए प्रोग्राम हैं. वुमेन आंत्रप्रेन्योर के लिए इन लोन का बेनिफिट यह है कि वो एक कस्टमाइज लोन साइज, एक स्टार्टअप लोन, ब्याज दरों में कमी और एक फास्ट लोन प्रोसेस की पेशकश करते हैं.

ओवरड्राफ्ट

एक ओवरड्राफ्ट बिजनेस के चालू खाते से जुड़ा एक लोन है, जो सिक्योरिटीज या कॉलेटरल द्वारा सुरक्षित है, जो आमतौर पर एक फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन के साथ फिक्स्ड डिपॉजिट है. एक निर्धारित ओवरड्राफ्ट लिमिट को मंजूरी देने से पहले, लैंडर बोरोअर की क्रेडिट हिस्ट्री, इंस्टीट्यूशन के साथ संबंध, बिजनेस कैश फ्लो और पेबैक हिस्ट्री कंसीडर करता है.

बोरोअर कोई भी आवश्यक अमाउंट निकाल सकता है और निकाले गए अमाउंट पर ब्याज का भुगतान कर सकता है. पैसे का इस्तेमाल इस तरीके से किया जा सकता है जब तक कि प्रिंसिपल और इंटरेस्ट का रीपेमेंट तय शर्तों के अनुसार किया जाता है.

Published - September 15, 2021, 10:00 IST