सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के निर्देश के खिलाफ SBI और HDFC बैंक सहित अन्य बैंकों की याचिकाओं को अन्य बेंच के पास भेज दिया है. बैंकों ने सूचना के अधिकार (RTI) के तहत महत्वपूर्ण सूचनाएं, जैसे कि गोपनीय वार्षिक रिपोर्ट और डिफॉल्टरों की सूची, आवेदकों को उपलब्ध कराने के केंद्रीय बैंक के निर्देश को चुनौती दी है.
न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने इस बात पर विचार किया कि न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की अगुवाई वाली पीठ पहले 2015 में बैंकों के जयंतीलाल एन मिस्त्री मामले में दिए निर्णय को वापस लेने की याचिकाओं पर सुनवाई कर चुकी है. इस मामले में यह व्यवस्था दी गई थी कि वित्तीय संस्थानों को पारदर्शिता कानून के तहत सूचनाओं का खुलासा करना होगा.
इससे पहले, 28 अप्रैल को न्यायमूर्ति राव और न्यायमूर्ति विनीत शरण की पीठ ने कुछ बैंकों की फैसले के खिलाफ अपील को ठुकरा दिया था. पीठ ने कहा था कि इस फैसले को वापस लेने की अपील करने वाली याचिकाएं टिकने योग्य नहीं हैं.
हालांकि, बेंच ने बैंकों को फैसले और रिजर्व बैंक के निर्देश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अन्य उपायों को लेकर अपील करने की अनुमति दी थी. ये याचिकाएं न्यायमूर्ति नजीर की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष सूचीबद्ध थीं.
बेंच ने इन्हें उस पीठ को भेजने का फैसला किया, जो पहले इस तरह के मामले पर निर्णय कर चुकी है. 2015 में आदेश दिया गया था कि बैंकों को रिजर्व बैंक को पारदर्शिता कानून के तहत गोपनीय वार्षिक रिपोर्ट और डिफॉल्टरों आदि की सूचना उपलब्ध करानी होंगी.
केंद्र, भारतीय स्टेट बैंक (SBI), पंजाब नेशनल बैंक (PNB), केनरा बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (UBI) और HDFC बैंक ने 2015 के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है. न्यायमूर्ति नजीर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा है कि वह पहले यह तय करेगी कि केंद्र और बैंकों की याचिका को न्यायमूति राव की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा देखा जाना चाहिए या नहीं.