Bank Strike: मंगलवार को दूसरे दिन भी बैंकों की हड़ताल (Bank Strike) जारी है. सरकारी सेक्टर के बैंक कर्मचारी यूनियनों के आह्वान पर बैंकों में कामकाज ठप्प पड़ा हुआ है. बैंक कर्मचारी संगठन सरकार की बैंकों के निजीकरण करने की नीति के विरोध में हड़ताल (Bank Strike) पर हैं.
बैंकों में दूसरे दिन भी जारी हड़ताल (Bank Strike) से बैंकिंग सेवाएं प्रभावित हुई हैं. इसके चलते कारोबारियों और आम लोगों को दिक्कत हो रही है. बैंकों की हड़ताल के चलते नकद निकासी, पैसे जमा करने, चेक क्लीयरेंस, रेमिटेंस सर्विसेज, सरकारी ट्रांजैक्शंस और कारोबारी ट्रांजैक्शंस पर बुरा असर पड़ा है.
दूसरे राज्यों के अलावा महाराष्ट्र में भी इस हड़ताल का व्यापक असर देखने को मिल रहा है. राज्य में नकद निकासी, चेक क्लीयरेंस और दूसरे कारोबारी लेनदेन में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
बैंक यूनियनों ने कहा है कि इस हड़ताल में करीब 10 लाख कर्मचारी और अफसर शामिल हैं. युनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (UFBU) के तहत बैंक कर्मचारी संगठन दो सरकारी बैंकों के प्रस्तावित निजीकरण का विरोध कर रहे हैं. संगठनों ने 15 और 16 मार्च को सरकारी बैंकों में हड़ताल का ऐलान किया था.
UFBU नौ संगठनों का एक संयुक्त संगठन है. संगठन का दावा है कि इस हड़ताल में 10 लाख से ज्यादा बैंक कर्मचारी शामिल हो रहे हैं.
हालांकि, आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक और एक्सिस बैंक जैसे निजी बैंक खुले हैं और वे इस हड़ताल में शामिल नहीं हैं.
पिछले महीने पेश किए गए केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दो सरकारी बैंकों के निजीकरण का ऐलान किया था.
सरकार पहले ही आईडीबीआई बैंक का निजीकरण कर चुकी है. इस बैंक में सरकार ने अपनी हिस्सेदारी को 2019 में एलआईसी को बेच दिया था. इसके अलावा, पिछले 4 साल में सरकार 14 सरकारी बैंकों का मर्जर भी कर चुकी है.
ऑल इंडिया बैंक एंप्लॉयीज एसोसिएशन (एआईबीईए) के जनरल सेक्रेटरी सी एच वेंकटचलम के मुताबिक, ब्रांच स्तर पर मिलने वाली सेवाएं, चेक क्लीयरेंस और सरकारी ट्रांजैक्शंस पर इस हड़ताल का असर पड़ा है.