इस वजह से बैंकों के निजीकरण पर अटक गई सरकार की गाड़ी, जाने पूरा मामला

कृषि कानूनों में हुई किरकिरी के बाद सरकार ने संसद के इस सत्र में फिलहाल बैंकों के निजीकरण से जुड़े बिल को टालने में ही भलाई समझी है.

  • Team Money9
  • Updated Date - December 16, 2021, 01:04 IST
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अकेले महाराष्ट्र में ही सरकारी बैंकों के 60,000 से ज्यादा कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं. पूरे देश में इस हड़ताल ने बैंकिंग कामकाज को हिलाकर रख दिया है

अकेले महाराष्ट्र में ही सरकारी बैंकों के 60,000 से ज्यादा कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं. पूरे देश में इस हड़ताल ने बैंकिंग कामकाज को हिलाकर रख दिया है

बैंकों के निजीकरण (Bank Privatisation) पर सरकार के पैर थम गए हैं. दरअसल कृषि कानूनों पर किसानों की जिद सरकार पर भारी पड़ चुकी है. इसके बाद से सुधारों और निजीकरण की राह पर सरकार के पैर डगमगाते दिख रहे हैं. बैंकों के प्राइवटाइजेशन (Bank Privatisation) के लिए सरकार को बिल लाना था, लेकिन अब ऐसा लग नहीं रहा कि सरकार संसद के इस सत्र में इसे ला पाएगी. बैंक कर्मचारियों के संगठन सार्वजनिक बैंकों या PSB के निजीकरण की लगातार खिलाफत कर रहे हैं.

इस मसले पर पहले भी कई दफा बैंक कर्मचारी यूनियनें हड़ताल कर चुकी हैं. ऐसे वक्त पर जबकि संसद सत्र चल रहा है बैंक यूनियनों ने 16 और 17 दिसंबर यानी आज और कल बैंकों को बंद रखने का ऐलान किया है.

कृषि कानूनों में हुई किरकिरी के बाद सरकार ने संसद के इस सत्र में फिलहाल बैंकों के निजीकरण से जुड़े बिल को टालने में ही भलाई समझी है, अपनी ओर से पूरा भरोसा दिलाने के बावजूद सरकार बैंक यूनियनों को हड़ताल टालने के लिए राजी नहीं कर पाई है. दो दिन की हड़ताल के पहले दिन यानी गुरुवार को बैंकों के कामकाज पर तगड़ा असर पड़ा है.

खबरों के मुताबिक, अकेले महाराष्ट्र में ही सरकारी बैंकों के 60,000 से ज्यादा कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं. पूरे देश में इस हड़ताल ने बैंकिंग कामकाज को हिलाकर रख दिया है.

पूरे देश में इतनी शाखाएं हैं बंद

बैंक एंप्लॉयीज फेडरेशन ऑफ इंडिया (BEFI) के वाइस प्रेसिडेंट जॉयदेब दासगुप्ता ने मनी9 को बताया कि पूरे देश की 1,20,000 (एक लाख बीस हजार) से ज्यादा शाखाएं बंद हैं, उन्होंने कहा कि इस हड़ताल में बैंकों के साढ़े ग्यारह लाख से ज्यादा कर्मचारी शामिल हैं. दासगुप्ता ने कहा कि भले ही सरकार ने बैंकों के निजीकरण का बिल अभी पेश नहीं किया है, लेकिन ये लिस्ट में तो है.

दासगुप्ता कहते हैं कि जब तक सरकार बैंकों के निजीकरण का प्रोग्राम को वापस नहीं लेती, तब तक हमारा विरोध जारी रहेगा. जाहिर है, इतने बड़े पैमाने पर बैंकों का कामकाज ठप्प होगा तो आम लोगों से लेकर कारोबारियों तक के बैंकिंग से जुड़े कामकाज बुरी तरह प्रभावित होगा ही, चेक क्लीयरेंस, ATM सेवाओं समेत बैंकिंग से जुड़ा हर छोटा-बड़ा काम इसकी वजह से प्रभावित हो रहा है.

क्रिप्‍टोकरेंसी को लेकर आने वाला बिल भी टला

सरकार के मोर्चे पर देखा जाए तो वह न सिर्फ बैंकिंग बिल पर थमती दिख रही है, बल्कि क्रिप्टोकरेंसी को लेकर आने वाला बिल भी टल ही गया है. कुल मिलाकर किसानों के मोर्चे पर चोट खाई सरकार अब हर नए रिफॉर्म पर फूंक-फूंककर कदम रख रही है.

Published - December 16, 2021, 01:04 IST