Bank Merger: बैंक कर्मचारियों के संगठन AIBEA ने वित्त मंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि सरकार को रीस्ट्रक्चरिंग योजना के तहत कमजोर क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB) के उनके प्रायोजक बैंकों के साथ विलय (Bank Merger) पर विचार करना चाहिए. इससे प्रायोजक बैंकों के ग्रामीण नेटवर्क में वृद्धि होगी.
ऑल इंडिया बैंक एम्प्लॉयज एसोसिएशन (AIBEA) ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर कहा है कि ऐसा समझा रहा है कि सरकार RRB में आगे और सुधारों पर विचार कर रही है ताकि इन्हें अधिक व्यवहारिक बनाया जा सके.
संगठन ने कहा है, ‘‘हमारा सुझाव है कि इन RRB को प्रायोजक बैंकों में विलय करना बेहतर होगा क्योंकि इससे प्रायोजक बैंकों के ग्रामीण नेटवर्क में वृद्धि होगी. साथ ही साथ उन कमजोरियों को खत्म किया जा सकेगा, जिनसे क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक वर्तमान में जूझ रहे हैं.’’
AIBEA के महासचिव सी एच वेंकटचलम ने कहा है कि इससे निगरानी अधिक प्रभावी होगी क्योंकि वे बैंक का हिस्सा बन जाएंगे और प्रायोजक बैंकों के प्रबंधन के सीधे नियंत्रण में आ जाएंगे.
ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे किसानों, कृषि श्रमिकों और दस्तकारों को कर्ज एवं अन्य सुविधाएं प्रदान करने के मकसद से इन बैंकों का गठन RRB अधिनियम, 1976 के अंतर्गत किया गया था.
अधिनियम के तहत केंद्र, संबंधित राज्य सरकारों और प्रायोजक या प्रवर्तक बैंकों की RRB में शेयरधारिता क्रमश: 50:15:35 फीसदी है. केंद्र सरकार के बाद प्रायोजक बैंक RRB में सबसे बड़ा शेयरधारक है.
शुरू में RRB की संख्या 196 थी. विभिन्न बैंकों में विलय के साथ इनकी संख्या घटकर अब 43 रह गई है.
वेंकटचलम ने कहा कि हालांकि RRB के उद्देश्य सराहनीय रहे हैं, लेकिन इन बैंकों को जो जिम्मेदरी मिली है, वो उन्हें नाजुक और कमजोर बनाती है.
उन्होंने कहा कि RRB को मजबूत और जीवंत बनाने के लिए उनके पुनर्गठन के कई प्रयास किए गए हैं, लेकिन परिणाम आंतरिक कारणों से उत्साहजनक नहीं रहे हैं.