बैड बैंक लाएगा कर्जदाताओं के लिए अच्छे दिन, अर्थव्यवस्था होगी मजबूत

Bad Bank: रिजर्व बैंक की स्टडी के अनुसार, वित्त वर्ष 2022 के अंत तक शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंकों के ग्रॉस NPA बढ़कर 9.8 प्रतिशत तक पहुंच सकते हैं

work from home promotes merit based hiring over location preference in corporate india

बड़ी कंपनियां अक्सर बड़े शहरों में होने के कारण रिक्रूटमेंट इन्हीं शहरों तक सीमित रह जाता है. यहां के कैंडिडेट्स को इसका लाभ मिलता है

बड़ी कंपनियां अक्सर बड़े शहरों में होने के कारण रिक्रूटमेंट इन्हीं शहरों तक सीमित रह जाता है. यहां के कैंडिडेट्स को इसका लाभ मिलता है

बैंकों के लिए नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (NPA) किसी बुरे सपने से कम नहीं होते. ये उनकी बैलेंस शीट बिगाड़ते हैं और जोखिम लेने की क्षमता को प्रभावित करते हैं. इससे नए कारोबार की शुरुआत करने या मौजूदा प्रोजेक्ट की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए कर्ज का आवेदन करने वाले उद्यमियों के लिए परेशानियां बढ़ती हैं.

अमेरिका, UK, जर्मनी और चीन से तुलना करें तो हमारे देश में लगातार NPA का स्तर बहुत अधिक रहा है. रिजर्व बैंक (RBI) की स्टडी के अनुसार, वित्त वर्ष 2022 के अंत तक शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंकों के ग्रॉस NPA बढ़कर 9.8 प्रतिशत तक पहुंच सकते हैं.

बैड बैंक है गुड

ऐसे में बैड बैंक (bad bank) का सहारा लेना ठोस कदम साबित हो सकता है. बजट में ऐसी व्यवस्था का ऐलान पहले ही किया जा चुका है. अब गुरुवार को केंद्र ने बैड बैंक के लिए 30,600 करोड़ रुपये की गारंटी की घोषणा की है. इस तरह के बैंक को पहले नेशनल एसेट रीकंस्ट्रक्शन कंपनी (NARC) के नाम से जाना जाता था.

दुर्गा मां की अगर आप पूजा करते हैं, तो जानते होंगे कि कैसे राक्षस महिषासुर को पराजित करने के लिए सभी देवी-देवताओं ने मिलकर देवी के शस्त्र तैयार करने में योगदान दिया था. उसी तरह सभी बैंक, या यूं कहें कि इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (IBA) मिलकर बैड बैंक तैयार कर के NPA रूपी राक्षस का विनाश करने की कोशिश कर रहे हैं.

अर्थव्यवस्था में डालेगा जान

घोषणा के अनुसार, एसेट की तय कीमत का 15 प्रतिशत NARC कैश में देगा. बची हुई राशि सरकार की तरफ से गारंटीड सिक्योरिटी रिसीप्ट के रूप में मिलेगी. रिसीप्ट की फेस वैल्यू और उसकी वास्तविक देयता के बीच किसी तरह के शॉर्टफॉल को गारंटी से पूरा किया जाएगा.

बैड बैंक की मदद से एसेट से जुड़ी परेशानियां जल्द खत्म की जा सकेंगी. उनपर बेहतर वैल्यू भी मिलेगी. सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि NPA की वैल्यू बैंक की बॉटमलाइन में जुड़कर उसकी हालत सुधारेगी. अगर इंप्लिमेंटेशन से जुड़ी दिक्कतें घटा दी जाएं तो बैड बैंक और बैंकरप्सी कोड मिलकर निवेश और स्ट्रेस्ड एसेट में जल्द सुधार ला सकेंगे. इससे देश का बैंकिंग सिस्टम और अर्थव्यवस्था, दोनों बेहतर होंगे.

Published - September 17, 2021, 05:48 IST