अब रोड पर जल्द ही हाइड्रोजन चालित बस (Hydrogen Bus) देखने को मिलेगी. अगला जमाना हाइड्रोजन और इस पर चलने वाली गाड़ियों का है. पेट्रोल और डीजल के रेट दिनोंदिन बढ़ते जा रहे हैं. इसे देखते हुए ईंधन के वैकल्पिक स्रोतों पर विचार किया जा रहा है. इसी क्रम में सरकार ने हाइड्रोजन ईंधन को बढ़ावा देने के लिए नेशनल हाइड्रोजन मिशन का ऐलान किया था. जिसके बारे में इस बजट में बताया भी गया.
टाटा मोटर्स ने इस दिशा में काम भी शुरू कर दिया है. वहीं सरकार की इस योजना को आगे बढ़ाने के लिए टाटा, रिलायंस, महिंद्रा और सरकारी तेल कंपनियां भी एक साथ आ सकती हैं. टाटा मोटर्स ने इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के साथ मिलकर हाल में देश के पहले हाइड्रोजन चालित बस(Hydrogen Bus) को हरी झंडी दिखाई. बस अभी टेस्ट प्रोजेक्ट में जिसके बारे में बाद में फैसला लिया जाएगा. हालांकि केरल देश का पहला राज्य होगा जहां इस साल हाइड्रोजन ईंधन पर चलने वाली बसें शुरू हो जाएंगी. इसकी तैयारियां बड़े स्तर पर चल रही हैं.
बिना आवाज के चलेगी बस
टाटा स्टारबस (Hydrogen Bus)में हाइड्रोजन फ्यूल सेल लगे हैं जिसका ट्रायल चल रहा है. अगर यह प्रयोग सफल होता है तो देश की परिवहन व्यवस्था पूरी तरह से बदल जाएगी और पेट्रोल-डीजल पर देश की निर्भरता घटेगी. अभी अरबों रुपये का तेल आयात करना होता है. अगर हाइड्रोजन ईंधन पर गाड़ियां चलने लगें तो तेल पर खर्च कम होगा और सरकारी खजाने पर बोझ भी घटेगा. हाइड्रोजन से चलने वाली बस से कोई प्रदूषण भी नहीं होगा क्योंकि इसका बाइप्रोडक्ट पानी और ऊष्मा यानी कि हीट के रूप में सामने आता है. ये दोनों चीजें पर्यावरण के लिए सुरक्षित हैं. इससे न धुआं निकलेगा और न ही बसों से आवाज होगी.
पॉल्यूशन की समस्या होगी दूर
टाटा स्टारबस(Hydrogen Bus) में हाइड्रोजन फ्यूल पावर सिस्टम लगा है जो 114 हॉर्स पावर की शक्ति देता है. बस में एक इलेक्ट्रिक प्रोपल्जन मोटर भी लगा है जो 250 एचपी का पावर देता है. बस चलने पर 800 RPM की दर पर 1050 एनएम का टॉर्क मिलता है. इस बस में एक साथ 30 यात्री बैठ सकते हैं. पारंपरिक इंजन से 40-60 परसेंट ज्यादा हाइड्रोजन बस की क्षमता है. स्टारबस में लगे फ्यूल सेल अन्य इंजन की तुलना में 50 प्रतिशत कम ईंधन खाते हैं. इस बस को इंटर-सिटी ट्रांसपोर्टेशन का सबसे अच्छा माध्यम माना जा रहा है.
हाईटेक टेक्नोलॉजी से होगी लैस
हाइड्रोजन बस एक तरह से फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक बस (Hydrogen Bus)होगी जिसमें हाइड्रोजन फ्यूल सेल और बैटरी या कैपेसिटर्स लगे होते हैं. यह हाइब्रिड सिस्टम है जिसमें फ्यूल सेल गाड़ी को चलाने के लिए ऊर्जा देते हैं जबकि मोटर से गाड़ी को एक्सेलरेशन मिलती है. गाड़ी के इंजन में इलेक्ट्रो-केमिकल रिएक्शन होता है जिससे अंत में पानी और हीट निकलता है. इस प्रक्रिया में किसी तरह का प्रदूषण नहीं होता. इलेक्ट्रिक एनर्जी से गाड़ी दौड़ती है और बैट्री भी चार्ज होती है. हाइड्रोजन से निकली ऊष्मा ब्रेक रेसिस्टर पर जमा होती है जिसका इस्तेमाल ठंड के दिनों में बस को गरम रखने के लिए किया जा सकता है.
सिर्फ 7 मिनट में किया जा सकेगा री-फ्यूल
हाइड्रोजन बस को री-फ्यूल करने में महज 7 मिनट का समय लगता है लेकिन अब ऐसे भी डिजाइन बनाए जा रहे हैं जिसमें 5 मिनट से ज्यादा का समय न लगे. हाइड्रोजन बस में ईंधन डालने के लिए शहर में जगह-जगह पंप लागने की जरूरत नहीं है. बस जिस डिपो की होगी सिर्फ वही पर हाइड्रोजन पंप लगेगा जहां से बसें ईंधन लेकर निकलेंगी.
डीजल बसों की लेगी जगह
औद्योगिक स्तर पर जिस हाइड्रोजन का इस्तेमाल होता है उसे नेचुरल गैस से लिया जाता है, लेकिन हाइड्रोजन बस(Hydrogen Bus) के लिए ऐसा करने की जरूरत नहीं होगी. कार्बन कैप्चर और बायोगैस से हाइड्रोजन गैस पाना आसान होगा. हाइड्रोजन बस का संचालन डीजल बस की तरह ही होगा. इसलिए माना जा रहा है कि आने वाले समय में हाइड्रोजन बस पूरी तरह से डीजल बसों को बेदखल कर देंगी.