वाहनों से जुड़ी ये 5 बातें हैं एकदम गलत, इनमें से किसी को आप भी तो नहीं मानते हैं सच, जानिये अभी

Car Myths: वाहन का ख्‍याल रखने के लिए हम जाने और अनजाने में कई टिप्‍स को फॉलो करते हैं. बिना ये जाने की ये टिप्‍स हमारे काम की हैं भी या नहीं.

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Car Myths: हम सभी अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में बाइक और कार का इस्‍तेमाल करते हैं. सभी को अपने वाहनों से खूब लगाव भी होता है. ऐसे में अपने वाहन का ख्‍याल रखने के लिए हम जाने और अनजाने में कई टिप्‍स को फॉलो करते हैं. बिना ये जाने की ये टिप्‍स हमारे काम की हैं भी या नहीं.

आज हम आपको ऐसे ही टॉप 5 टिप्‍स के बारे में बताने जा रहे हैं जो बिलकुल गलत हैं. लेकिन कई लोग इनपर विश्‍वास करते हैं. हमें इन मिथकों पर भरोसा नहीं करना चाहिए.

हर 4 हजार किमी में ऑयल बदलना जरूरी

तेल बदलना अच्छा है लेकिन तय करें कि आप इसे अपने फैसले पर बदलें. कंपनियां आपको हर 4 हजार किमी में तेल बदलने के लिए कहती हैं लेकिन यह तेल की बिक्री बढ़ाने और एक मार्केटिंग स्ट्रेटजी के रूप में किया जाता है. हालांकि यह आपके वाहन को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता है लेकिन यह आपके बटुए पर भारी पड़ सकता है यदि आप एक अच्छी क्वालिटी वाले महंगे तेल का उपयोग करते हैं. इसके अलावा, कार में तेल की जरूरत है या नहीं यह तय करने के लिए डिप स्टिक का उपयोग करें.

नई कारें खराब माइलेज देती हैं!

आज ज्यादातर कारें फैक्ट्री से इंजन रन-इन के साथ आती हैं. हां, बाइक के साथ एक ब्रेक-इन पीरियड होता है जहां तेल और मेटल की सतह को वियर करने की स्थिति में आ रही है जो वाहन की परफॉर्मेंस को तय करेगी लेकिन एक नई कार के लिए ये लागू नहीं होता. आप इसे तुरंत ही चलाना शुरू कर सकते हैं और आपको माइलेज के बारे में परेशान होने की जरूरत नहीं है.

अलग-अलग ब्रांड के फ्यूल से कार को नुकसान होगा!

क्या अलग-अलग ब्रांड का फ्यूल आपकी कार को नुकसान पहुंचाता है? यह हमेशा नुकसान नहीं पहुंचा सकता. कंपनियां फ्यूल पंप पर बेची गई फ्यूल की मात्रा से लाभ कमाने की कोशिश नहीं करती है. इसलिए इस बात की संभावना कम है कि आपको वहां मिलावटी फ्यूल मिले. हां निजी फ्यूल पंपों में, ऐसा होने के चांस हैं कि आपकी गाड़ी में मिलावटी फ्यूल भरा जाए. ऐसे में सुरक्षित रहने के लिए एक ही पंप पर फ्यूल डलवाना चाहिए.

मैनुअल ट्रांसमिशन का मतलब बेहतर माइलेज!

बहुत सारे लोग मैनुअल कार खरीदते हैं क्योंकि उनसे बेहतर माइलेज देने की उम्मीद की जाती है. अगर आप एक रेगुलर सिटी ड्राइवर हैं, जो शायद ही कभी हाइवे या इससे बाहर जाता है तो मैनुअल और ऑटोमैटिक कार में बहुत ज्यादा फर्क नहीं आएगा. मैनुअल कारें हाइवे पर शानदार परफॉर्म करती हैं क्योंकि इनकी स्पीड और गियर को बदला जा सकता है. वहीं एक ऑटोमैटिक कार जैसे कि CVT पर अगर आप रेगुलर स्पीड से ड्राइव कर रहे हैं तो इंजन में वर्क प्रेशर कम हो जाता है. इस लिहाज से सीवीटी ऑटोमैटिक कार, एक मैनुअल ट्रांसमिशन कार की तुलना में बहुत अधिक फ्यूल-एफिशिएंट है.

प्रीमियम फ्यूल से इंजन की बढ़ेगी पावर!

बहुत से लोग मानते हैं कि हाई ऑक्टेन या प्रीमियम फ्यूल का उपयोग करने से उनकी बाइक तेज हो जाएगी. यह पूरी तरह से गलत है और हाई ऑक्टेन फ्यूल किसी भी तरह से पावर में वृद्धि नहीं करता है. प्रीमियम फ्यूल सिर्फ उन बाइक और कारों के लिए अच्छा है जो हाई कम्प्रेशन पर चलती हैं. ये फ्यूल इंजन पर स्ट्रेस को कम करता है और अगले साइकल से पहले पूरी तरह से चलता है. छोटे क्षमता वाले वाहन पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है.

Published - May 6, 2021, 05:18 IST