गेहूं की कीमतें लगातार बढ़ रही है हैं. अगस्त में अबतक भाव प्रति क्विंटल करीब 60 रुपए बढ़ चुका है. भाव और न बढ़े इसके लिए सरकार ने खुले बाजार में अपने स्टॉक से 50 लाख टन गेहूं बेचने का फैसला भी किया है. लेकिन क्या सरकार के पास इतना स्टॉक है जिसको जरूरत पड़ने पर खुले बाजार में बेचा जा सके?
भारतीय खाद्य निगम के आंकड़े बताते हैं कि 1 अगस्त तक केंद्रीय पुल में 283 लाख टन गेहूं का स्टॉक पड़ा हुआ था. सरकार को इस गेहूं का इस्तेमाल अगले साल मार्च अंत तक करना है. इसी गेहूं से सरकारी योजनाओं के लिए अनाज सप्लाई होगा और इसी में से सैन्य जरूरत के लिए सप्लाई होगी और इन जरूरतों के लिए हर महीने 20-22 लाख टन गेहूं की खपत होती है. यानी मार्च तक 160 लाख टन से ज्यादा गेहूं इन्हीं जरूरतों में इस्तेमाल हो जाएगा. इसके अलावा मार्च अंत तक सरकार को रणनीतिक और ऑपरेशनल जरूरत के लिए अतीरिक्त 75 लाख टन गेहूं की जरूरत होगी. यानी सरकार की खुद की जरूरत ही करीब 235 लाख टन की है. इस हिसाब से सरकार के पास जो 283 लाख टन गेहूं बचा हुआ है उसमें से 48 लाख टन ही खुले बाजार में सप्लाई के लिए बच पाएगा, जबकि सरकार ने 50 लाख टन का दावा किया है.
खबरें ये भी हैं कि खुले बाजार में गेहूं की सप्लाई बढ़ाने के लिए सरकार सरकार इसपर आयात शुल्क या तो घटा सकती है या पूरी तरह खत्म कर सकती है. लेकिन क्या आयात शुल्क पूरी तरह हटने पर गेहूं सस्ता होगा? गेहूं का आयात अगर होता भी है तो ऑस्ट्रेलिया या रूस से होगा. दुनियाभर में इन दोनों देशों से ही सबसे ज्यादा गेहूं एक्सपोर्ट होता है. ऑस्ट्रेलिया में गेहूं का मौजूदा भाव 295 से 300 डॉलर प्रति टन के करीब है. ऑस्ट्रेलिया से भारत पहुंचाने के लिए इसपर 25-30 डॉलर का खर्च भी आएगा. यानी भारत के दक्षिण में ऑस्ट्रेलिया का गेहूं 325-330 डॉलर में मिलेगा. रुपए में कहें तो करीब 2700 रुपए प्रति क्विंटल और भारतीय बाजार में फिलहाल भाव 2550 रुपए है. यानी आयात शुल्क खत्म होने पर भी ऑस्ट्रेलिया का गेहूं भारत में महंगा पड़ेगा.
रूस के गेहूं की बात करें तो उसका मौजूदा बाजार भाव 255-260 डॉलर प्रति टन के करीब है और भारत के पश्चिमी तट पर पहुंचने के लिए उसपर भी प्रति टन 25-30 डॉलर का खर्च आएगा. यानी भाव बढ़कर 285-290 डॉलर हो जाएगा. रुपए में कहें तो करीब 2380 रुपए प्रति क्विंटल. इस हिसाब से रूस का गेहूं भारत में सस्ते रेट पर मिल सकता है. हालांकि इसमें भी एक पेच है. घरेलू स्तर पर गेहूं की सप्लाई को बढ़ाने के लिए भारत अगर इंपोर्ट ड्यूटी हटाता है तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं का भाव बढ़ना शुरू हो जाएगा. ऑस्ट्रेलिया और रूस में भी गेहूं महंगा होगा. ऐसी स्थिति में उन देशों से आने वाले गेहूं का भाव और ज्यादा बढ़ जाएगा.