दुनिया भर में पिछले साल से ही छंटनी का दौर चल रहा है और ये अभी भी जारी है. मंदी ने स्थापित कॉरपोरेट कंपनियों से लेकर स्टार्टअप तक को बुरी तरह प्रभावित किया है. आमतौर पर बड़ी छंटनियां स्टार्टअप में हो रही हैं और इसका कारण फंडिंग न मिलना है. टेलेंट सॉल्यूशन फर्म Careernet के आंकड़ों के मुताबिक जनवरी से मार्च के बीच स्टार्टअप फंडिंग की कमी के वजह से कम से कम 9,400 कर्मचारियों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा. छंटनी करने वाले स्टार्टअप्स में देश के कई यूनिकॉर्न स्टार्टअप (Unicorn Startup) का नाम भी है.
किन स्टार्टप्स ने की बड़ी छंटनी
जनवरी से मार्च के बीच ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म बायजूस (Byju’s), अनएकेडमी (Unacademy), सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म शेयरचैट (Sharechat), अपार्टमेंट प्लेटफॉर्म माय गेट (MyGate) और स्विगी (Swiggy), कार सर्विसिंग प्लेटफॉर्म गो मैकेनिक (GoMechanic) ने बड़ी छंटनियां की हैं. मीडियारिपोर्ट के अनुसार इस तिमाही में 70 फीसदी से ज्यादा स्टार्टअप ने अपने वर्कफोर्स में 100 से 300 लोगों को नौकरी से निकाला. भारतीय स्टार्टअप्स में सबसे ज्यादा छंटनी एडुटेक सेक्टर में हो रही हैं. Inc42 की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस सेक्टर के 19 स्टार्टअप अब तक छंटनी कर चुके हैं, जिनमें सिर्फ चार यूनिकॉर्न ने ही करीब 8,500 लोगों को काम से निकाला है.
दबाव में टेक कंपनियां
टेक कंपनियों की ही बात करें तो पूरी दुनिया में टेक कंपनियां इस साल अब तक 1.50 लाख से ज्यादा लोगों को काम से निकल चुकी हैं. इस साल जनवरी महीने में 84,714 लोगों की और फरवरी में 36,491 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला गया. मार्च महीने में एसेंचर (Accenture) इनडीड (InDeed) के अलावा रूफस्टॉक (RoofStock), ट्विच (Twitch), अमेजन (Amazon), गूगल (Google) माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft), ट्विटर (Twitter), फेसबुक (Facebook) की पैरेंट कंपनी मेटा (Meta), डिज़्नी (Disney), वाई कम्बिनेटर (Y Combinator), सेल्सफोर्स (SalesForce), एटलासियन (Atlasian), लिवस्पेस (LivSpace), कोर्स हीरो (Course Hero), क्लावियो (Clavio) जैसी तमाम कंपनियां छंटनी कर चुकी हैं.
नौकरी देने में भी आई कमी
सिर्फ़ नौकरियां गई ही नहीं बल्कि कंपनियों ने नए कर्मचारियों की भर्ती में भी कटौती करनी शुरू कर दी है. Careernet की रिपोर्ट बताती है कि स्टार्टअप कंपनियों ने उन सीनियर पदों पर भर्ती में पिछले साल के मुकाबले 80 फीसदी तक की कटौती की है जिनका सालाना पैकेज 50 लाख रुपये से अधिक है. संभावना ये जताई जा रही है कि स्टार्टअप कंपनियों में आगे भी भर्ती प्रक्रिया धीमी ही रहेगी.
स्टार्टअप का क्या है संकट
इस समय मार्केट की स्थिति की वजह से बड़े निवेशकों ने स्टार्टअप पर पैसे लगाना बंद कर दिया है. पिछले साल के मुकाबले इस साल स्टार्टअप फंडिंग में पूरे 71.6 फीसदी की कमी आई है. पिछले साल इस समय स्टार्टअप ने कुल 12 बिलियन डॉलर की रकम मार्केट से उठाया था, जो अब इस साल घटकर केवल 2.1 बिलियन डॉलर रह गया है. बड़ी कॉरपोरेट कंपनियां भी मंदी के दौर में खर्चों को कम करने के लिए कर्मचारियों को नौकरी से निकाल रही हैं और सैलरी में कटौती कर रही हैं.