एपल के सीईओ टिम कुक ने हाल ही में भारत में कंपनी का पहला स्टोर खोला है. कई उत्साहित भारतीय इस लॉन्च का हिस्सा बने. सैकड़ों लोगों की इस भीड़ में रोहन भी शामिल थे. खुशी से फूले नहीं समा रहे रोहन को लगने लगा कि अब भारत का टाइम आ गया है. लेकिन घर लौटते-लौटते उनकी सारी खुशी हैरानी में बदल गई.
दरअसल उन्होंने खबर पढ़ी थी कि भारत में स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनियों ने जनवरी से अप्रैल के बीच अपने उत्पादन में सालाना आधार पर 20 फीसदी की कटौती की है. और ये कदम इन कम्पनियों ने स्मार्टफोन की गिरती बिक्री की वजह से लिया है. अब रोहन का सिर चकरा रहा है कि एक तरफ सात समंदर पार से टिम कुक एप्पल का स्टोर खोलने भारत आ रहे हैं. दूसरी तरफ भारत में कंपनियों ने मोबाइल फोन बनाने बंद कर दिए हैं. क्योंकि वो अपने पहले से बने फोन ही नहीं बेच पा रही हैं.
तो अगर आपका सर भी रोहन की तरह चकरा रहा है तो हम आपको समझाते हैं कि ये पूरा चक्कर है क्या.
कंपनियों ने स्मार्टफोन बनाने कम किए हैं. क्योंकि जो पहले से बने फोन हैं वो ही अभी तक बिक नहीं पाए हैं. काउंटरपॉइंट रिसर्च के मुताबिक ज्यादातर ब्रांड्स के पास 10 हफ्ते का स्टॉक मौजूद है. स्मार्टफोन की ब्रिक्री में दिसंबर तिमाही तक सालाना आधार पर 30 फीसद और मार्च तिमाही तक 18 फीसद की गिरावट आई है.
स्मार्टफोन की कीमतों में बढ़ोतरी
इसकी एक वजह ये है कि स्मार्टफोन की कीमतों में पिछले 2-3 साल के दौरान करीब-करीब 15 से 20 फीसद की बढ़ोतरी हुई है. जिस स्मार्टफोन की कीमत कभी 8 हजार रुपए हुआ करती थी. अब उसकी कीमत 12 से 14 हजार रुपये हो गई है. कीमत बढ़ने से बाजार में सस्ते स्मार्टफोन्स की हिस्सेदारी घट रही है. . साल 2018 में स्मार्टफोन बिक्री में इनकी हिस्सेदारी 36 फीसद थी. जो नवंबर 2022 में घटकर 12 फीसद रह गई. सस्ते स्मार्टफोन ही बाजार में वॉल्यूम सेल्स को प्रमोट करते थे. क्योंकि यहां लोग तेजी से स्मार्टफोन बदलते थे. और इसलिए एंट्री लेवल फोन की बिक्री घटने का सीधा असर टोटल सेल पर भी दिखा है.
मोबाइल टैरिफ में बढ़ोतरी
स्मार्टफोन यूजर्स को दूसरा झटका टेलिकॉम कंपनियों ने भी दिया है. नवंबर 2021 से भारत में मोबाइल दरें 20 से 21 फीसद बढ़ चुकी हैं. साल 2021 तक भारत में एंट्री लेवल प्लान 70 से 80 रुपये तक हुआ करते थे. जो बढ़ते-बढ़ते अब 150 रुपए से भी महंगे हो चुके हैं.
पिछले एक दशक में भारत के मोबाइल बाजार को दो वजहों से सबसे महत्वपूर्ण माना गया था. वो ये कि दुनिया में सबसे सस्ता मोबाइल और दुनिया में सबसे सस्ता टैरिफ भारत में मिलता है. लेकिन अब दोनों चीजें पलट कर उल्टी हो गई हैं. धीमे-धीमे स्मार्टफोन का बाजार सिकुड़ कर महंगे फोन की तरफ झुक रहा है जहां महंगे स्मार्टफोन्स की मांग है.
ऐसे में भले ही देश में सस्ते फोन का बाजार संघर्ष कर रहा है. .लेकिन महंगे फोन की बिक्री पर इस गिरावट की शिकन तक नहीं है. फिर चाहे घरेलू बिक्री की बात हो या निर्यात की. हर तरफ महंगे स्मार्टफोन ने ही बाजार को बोझ उठा रखा है.
काउंटरपॉइंट रिसर्च की रिपोर्ट से पता चला ही साल 2023 की पहली तिमाही में स्मार्टफोन की बिक्री में 19 फीसद की गिरावट देखी गई है. लेकिन 5G स्मार्टफोन की बिक्री में सालाना आधार पर 23 फीसद की ग्रोथ की दर्ज की गई. निर्यात की बात करें तो. इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन के मुताबिक वर्ष 2022-23 में देश से 90 हजार करोड़ रुपये के मोबाइल फोन का निर्यात हुआ. इसमें एपल की हिस्सेदारी 50 फीसद और सैमसंग की हिस्सेदारी 40 फीसद रही.
इन आंकड़ो से पता चलता है कि देश में सस्ते फोन का बाजार सिकुड़ रहा है. यही वजह है कि मोबाइल फोन की बिक्री या उत्पादन के आंकड़े आपको घटते हुए दिखाई दे रहे हैं.