इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों पर मिलने वाली सब्सिडी में एक तिहाई कटौती के प्रस्ताव के बाद इलेक्ट्रिक स्कूटर निर्माता बिक्री पर पड़ने असर को लेकर बंटे हुए हैं. कुछ वाहन निर्माता मानते हैं कि ऐसा करने से वह नई रणनीति बनाने, अपने खर्चों को घटाने और भविष्य के लिए तैयार रहने में सक्षम बनेंगे. वहीं कुछ निर्माताओं का कहना है कि सब्सिडी में इस कमी के बाद लोग इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों को अपनाने में कतराएंगे. लेकिन सबसे बड़ा असर यह होगा कि लोग पहले से इन वाहनों को खरीदने से दूरी बना रहे हैं. अगर यह महंगे मिलेंगे तो फिर इन्हें कौन खरीदेगा?
एक अनुमान के अनुसार सब्सिडी घटने के बाद इलेक्ट्रिक स्कूटर 15 फीसद तक महंगे जाएंगे. हीरो इलेक्ट्रिक के सीईओ सोहिंदर गिल भी इस राय से इत्तेफ़ाक रहते हैं कि सब्सिडी घटने का असर बुरा होगा. उऩका कहना है कि प्रीमियम इलेक्ट्रिक बाइक्स में अब सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है क्योंकि इनकी सब्सिडी में कटौती भी सबसे ज्यादा है. अभी कई प्रीमियम इलेक्ट्रिक बाइक्स पर 60 हज़ार रुपए तक की सब्सिडी मिल जाती है. इसके दूरगामी परिणाम को में देखें तो इसकी वजह से कच्चे तेल के आयात का खर्च बढ़ सकता है और अधिकांश शहरों में लगातार बढ़ते वायु प्रदूषण में इजाफा हो सकता है.
सरकार इस कटौती से बची राशि का इस्तेमाल FAME II के तहत इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों के समर्थन और इसके प्रमोशन पर खर्च करने की योजना बना रही है. इस कदम का एमओ मोबिलिटी संस्थापक सुशांत कुमार ने स्वागत किया है. उनका कहना है कि संभावित सब्सिडी कटौती कीमतों को प्रभावित कर सकती है लेकिन हमें भरोसा है कि हम नवाचार और परिचालन दक्षता के ज़रिए से इस चुनौती से निपट लेंगे. बढ़ते समर्थन और लागत कम करने के समाधानों को अपनाकर हम इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के विकास को आगे बढ़ाएंगे और सरकार के सहयोग से एक हरित भविष्य को आकार देंगे.
बहरहाल, अगर आप इलेक्ट्रिक स्कूटर खरीदने की प्लानिंग कर रहे हैं तो आपको इलेक्ट्रिक स्कूटर खरीदना महंगा पड़ सकता है. सरकार की इस पहल से ई स्कूटर की मांग में कमी आ सकती है.