इस साल जितना गेहूं पैदा हुआ था उस हिसाब से मंडियों में सप्लाई नहीं है. सरकार गेहूं की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने और सप्लाई बढ़ाने के मकसद से आने वाले दिनों में कई बड़े फैसले ले सकती है. सरकार इसके लिए गेहूं पर इंपोर्ट ड्यूटी घटाने के साथ स्टॉक लिमिट को लेकर भी सख्ती बढ़ा सकती है. बता दें कि सरकार ने इस साल जितने गेहूं के उत्पादन का अनुमान लगाया है. उसके हिसाब से बाजार में गेहूं की वैसी सप्लाई नहीं दिखाई पड़ रही है.
गौरतलब है कि देश में इस साल 11.27 करोड़ टन गेहूं पैदा होने का अनुमान है और उसमें से 2.62 करोड़ टन गेहूं सरकार ने खरीदा है. करीब 1 करोड़ टन मिलों और स्टॉकिस्टों के पास है और किसानों को अपनी जरूरत के लिए 3-3.5 करोड़ टन गेहूं रखना पड़ता है. इसके बाद जो करीब 4-5 करोड़ टन गेहूं बचता है. वह लंबे समय से बाजार में नहीं आ रहा है. सरकार इसी को ध्यान में रखते हुए गेहूं पर स्टॉक लिमिट की सख्ती कर सकती है. हाल ही में मीडिया में खबरें आई थीं कि सरकार के द्वारा रूस से 90 लाख टन गेहूं आयात के लिए डील करने पर विचार किया जा रहा है. उत्पादन में कमी, स्टॉक में गिरावट और मांग में बढ़ोतरी की वजह से गेहूं की कीमतों में इजाफा देखने को मिल रहा है.
मार्च में लगी थी स्टॉक लिमिट
बता दें कि सरकार ने गेहूं की महंगाई पर लगाम लगाने के मकसद से 31 मार्च 2024 तक गेहूं पर स्टॉक लिमिट लगाई थी. पिछले 15 साल में सरकार की ओर से पहली बार गेहूं के ऊपर स्टॉक लिमिट लगाई गई है. गेहूं पर स्टॉक लिमिट का आदेश सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू है. स्टॉक लिमिट के आदेश के तहत ट्रेडर्स एवं थोक कारोबारी 3000 मीट्रिक टन, रिटेल आउटलेट के खुदरा कारोबारी 10 मीट्रिक टन और बड़ी चेन के रिटेलर्स 10 मीट्रिक टन गेहूं रख सकते हैं. इसके अलावा चेन के सभी आउटलेट पर 3 हजार टन गेहूं रखने की इजाजत है.