हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से झटका खाने वाले गौतम अदानी दोबारा मुसीबतों में घिर गए हैं. उनकी कंपनी अदानी समूह पर रिश्वतखोरी का आरोप लगा है. इस सिलसिले में अमेरिकी अधिकारी जांच कर रहे हैं. मामला एक एनर्जी प्रोजेक्ट के लिए अधिकारियों को दिए जाने वाले रिश्वत से जुड़ा हुआ है. ऐसे में अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय और वाशिंगटन में न्याय विभाग की धोखाधड़ी इकाई के नेतृत्व में ये जांचने की कोशिश कर रही है कि क्या अदानी समूह या गौतम अदानी सहित कंपनी से जुड़े लोग इसमें शामिल थे. हालांकि कंपनी ने ऐसी किसी गड़बड़ी से इनकार किया है.
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार मामले से परिचित सूत्रों का कहना है कि अमेरिकी प्रॉसिक्यूटर्स ने संभावित रिश्वतखोरी और अरबपति संस्थापक गौतम अदानी के आचरण का पता लगाने के लिए अदानी समूह के खिलाफ अपनी जांच बढ़ा दी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि जांच का दायरा भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा कंपनी एज़्योर पावर ग्लोबल लिमिटेड तक फैला हुआ है.
स्टॉक मूल्य में हेरफेर का लगा था आरोप
यह जांच पिछले साल शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों के बाद हुई है, जिसमें दावा किया गया था कि अदानी समूह ने अपने स्टॉक मूल्य में हेरफेर किया और लेखांकन धोखाधड़ी की है. हालांकि समूह ने इन आरोपों का खंडन किया था. जांच के बावजूद, अमेरिकी सरकार ने अदानी समूह की संस्थाओं के साथ काम करना जारी रखा है. रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल यूएस इंटरनेशनल डेवलपमेंट फाइनेंस कॉर्प ने श्रीलंका की राजधानी में एक पोर्ट टर्मिनल के लिए अदानी समूह को 553 मिलियन डॉलर फाइनेंस किए थे, जिसका लक्ष्य क्षेत्र में चीन के प्रभाव का मुकाबला करना था.
कंपनी ने दी ये सफाई
एक बयान में अदानी समूह ने कहा कि उन्हें अपने अध्यक्ष के खिलाफ किसी भी जांच की जानकारी नहीं है. एक व्यावसायिक समूह के रूप में जो मानक जरूरी होते हैं उनका पालन किया जा रहा है. कंपनी भ्रष्टाचार विरोधी और रिश्वत विरोधी कानूनों के अधीन हैं और उनका पूरी तरह से अनुपालन किया जा रहा है.