बारिश की कमी से कहीं बढ़ ना जाए कीटों का प्रकोप

कमजोर बारिश से फसल की यील्ड में कमी की आशंका

बारिश की कमी से कहीं बढ़ ना जाए कीटों का प्रकोप

आने वाले दिनों में अगर मानसून कमजोर रहता है तो फसल पर कीटों और कीड़ों का प्रकोप बढ़ सकता है. दरअसल, अगस्त का महीना लंबे समय तक सूखा रहा है जिसकी वजह से किसानों की परेशानी बढ़ गई है. परेशानी यह है कि फसलें कीटों और कीड़ों से असुरक्षित हो गई हैं, जिससे यील्ड में कमी के साथ ही किसानों पर ज्यादा खर्च का बोझ बढ़ सकता है. हालांकि अगस्त में लंबे समय तक चला आ रहा सूखे का दौर हाल की बारिश से टूटा जरूर है लेकिन कम बारिश से फसल को लेकर चिंता बढ़ गई है.

कपास में सबसे ज्यादा कीटनाशक का उपयोग
उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि मानसून की बरसात अगर बचे हुए सीजन में कमजोर रहती है तो कपास, धान और कुछ हद तक दलहनी फसलों पर कीटों और बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है. कृषि इनपुट सर्वे के आंकड़ों से पता चला है कि अखिल भारतीय स्तर पर करीब 38.8 फीसद सिंचित क्षेत्र में कीटनाशकों का उपयोग होता है, जबकि असिंचित क्षेत्रों के लिए यह आंकड़ा 36.1 फीसद है. कपास में कीटनाशकों का प्रयोग सबसे ज्यादा होता है, उसके बाद तुअर, जूट और धान में कीटनाशकों का प्रयोग होता है.

कीटनाशकों की बिक्री में बढ़ोतरी
उद्योग के सूत्रों के मुताबिक इस साल अभी तक स्थिति उस स्तर तक नहीं पहुंच पाई है कि जहां कीटों के हमले की संभावना कई गुना ज्यादा है. हालांकि अब सभी की निगाहें अगले कुछ हफ्तों में मानसून की बरसात पर टिकी हुई हैं क्योंकि कई फसलें अपनी शुरुआती परिपक्वता के चरण में प्रवेश करने जा रही हैं. आंकड़ों को अगर देखें तो पाएंगे कि देश के कई हिस्सों में मानसून की देरी और फसलों की बुआई में देरी के बावजूद चालू खरीफ सीजन में कीटनाशकों की बिक्री में बढ़ोतरी देखने को मिली है.

मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 21 अगस्त तक दक्षिण पश्चिम मानसून सामान्य से करीब 36 फीसद कम दर्ज किया गया है. बता दें कि जुलाई के दौरान मानसून की बरसात सामान्य से 5 फीसद ज्यादा दर्ज की गई थी. चालू खरीफ सीजन में अभी तक मानसून का अलग तरह का पैटर्न दिखाई दिया है. सूखे की स्थिति के बाद जुलाई में हुई अच्छी बारिश की वजह से बुआई की गतिविधियां समय पर पूरा होने की संभावना है और उसी की वजह से रकबे में भी ज्यादा गिरावट नहीं देखने को मिला है. जानकारों का कहना है कि जैविक खाद की खपत को लेकर अच्छी खासी बढ़ोतरी दिखाई दी है. खासकर धान, सोयाबीन, कपास और दलहन जैसी फसलों में इसके उपयोग में काफी बढ़ोतरी दर्ज की गई है. हालांकि उनका कहना है कि हाल के सूखे की वजह से सोयाबीन, मूंगफली और दलहनी फसलों में कीड़ों के हमले और फंगल रोगों के कुछ मामले सामने आए हैं.

Published - August 24, 2023, 01:15 IST