आम आदमी के किचन का बजट फिलहाल कम होता हुआ तो नहीं दिखाई पड़ रहा है. अनाज की कीमतों में महंगाई के साथ ही मसालों की कीमतों में भी आग लगी हुई है. प्रमुख मसाले जीरा और हल्दी की कीमतों में जोरदार इजाफा देखने को मिल रहा है. जीरे का भाव एक साल में जहां दोगुना हो चुका है, तो वहीं हल्दी भी 13 साल की ऊंचाई के करीब पहुंच गई है. वायदा बाजार में जीरे का भाव 60 हजार रुपए तो हल्दी भी 13 हजार रुपए प्रति क्विंटल के ऊपर पहुंच गई है.
3 महीने में कितना महंगा हुआ जीरा
मंगलवार को कमोडिटी एक्सचेंज एनसीडीईएक्स पर जीरा सितंबर वायदा ने 61,740 रुपए प्रति क्विंटल की ऊंचाई को छू लिया था. वहीं हाजिर बाजार की बात करें तो 18 जुलाई को ऊंझा मंडी में जीरे का मॉडल भाव 58,500 रुपए प्रति क्विंटल दर्ज किया गया था, जबकि 2 मई को मॉडल भाव 39,450 रुपए रहा था. 18 जुलाई को राजकोट में जीरे का मॉडल भाव 58,500 रुपए था, जबकि 2 मई की बात करें तो मॉडल भाव 42,000 रुपए प्रति क्विंटल दर्ज किया गया था.
13 साल की ऊंचाई पर हल्दी
दूसरी ओर हल्दी का भाव भी 13 साल की ऊंचाई के करीब पहुंच गया है. मंगलवार को वायदा बाजार में हल्दी का भाव 13,000 रुपए के स्तर को पार कर गया. हाजिर बाजार की बात करें तो मंगलवार को निजामाबाद में हल्दी की फिंगर क्वॉलिटी का मॉडल प्राइस 9,898 रुपए प्रति क्विंटल रहा, जबकि बीते 2 मई को फिंगर क्वॉलिटी का मॉडल भाव 5,020 रुपए प्रति क्विंटल था. 18 जुलाई को बल्ब क्वॉलिटी का मॉडल भाव 8,489 रुपए प्रति क्विंटल था, जबकि 2 मई को इसका मॉडल प्राइस 4,689 रुपए था.
क्या है उत्पादन के आंकड़े
दक्षिण के राज्यों में बरसात में कमी की वजह से मसालों के फसल की यील्ड में कमी की आशंका बढ़ गई है. जानकारों का कहना है कि यील्ड में कमी से उत्पादन में भी कमी हो सकती है. सरकार के पहले अग्रिम अनुमान के मुताबिक 2022-23 में जीरे का उत्पादन 6.27 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि 2021-22 में यह आंकड़ा 5.56 लाख टन का था. वहीं हल्दी की बात करें तो पहले अनुमान में 11.61 लाख टन उत्पादन का अनुमान लगाया गया है, जबकि 2021-22 में देश में 12.22 लाख टन हल्दी का उत्पादन हुआ था.
क्या है तेजी की वजह
जानकारों का कहना है कि निर्यात मांग में बढ़ोतरी, बुआई में कमी की आशंका और उत्पादन में कमी की वजह से हल्दी की कीमतों में मजबूती देखने को मिली है. वित्त वर्ष 2022-23 में सालाना आधार पर हल्दी के निर्यात में 11 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. इसके अलावा महाराष्ट्र के विदर्भ और मराठवाड़ा के इलाके में बरसात में कमी की वजह से बुआई पर असर पड़ा है. हल्दी कारोबारी पूनमचंद गुप्ता का कहना है कि अगर अब मानसून में रिकवरी भी आ जाती है तो भी दोबारा बुआई को लेकर दिक्कतें आएगी, क्योंकि किसानों को बीज की कमी का सामना करना पड़ रहा है.