अदानी ग्रुप के मामले में अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग के आरोपों की जांच लंबी खिंच सकती है. बाजार नियामक सेबी ने समूह की कंपनियों के शेयर मूल्य में हेराफेरी मामले में चूक के आरोपों की जांच के लिए और छह महीने का समय मांगा है. इसके लिए सेबी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है.
सुप्रीम कोर्ट ने गत दो मार्च को अपने आदेश में सेबी से अदानी ग्रुप से जुड़ी हिंडनबर्ग मामले की जांच दो महीने में पूरी करने को कहा था. कोर्ट ने भारतीय निवेशकों की सुरक्षा के लिए एक पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एएम सप्रे की अध्यक्षता में छह सदस्यीय समिति गठित करने का निर्देश दिया था. इस तरह सेबी की ओर से यह जांच दो मई तक पूरी की जानी थी.
सेबी ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट में दायर आवेदन में सेबी ने कहा है कि दो महीने की अवधि में जांच को सिरे तक पहुंचा पाना संभव नहीं है. नियमों की अवहेलना और वित्तीय लेनदेन की धोखाधड़ी से संबंधित संभावित उल्लंघनों का पता लगाने की प्रक्रिया में अभी छह महीने का समय और लगेगा.
बता दें कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद समूह अदानी ग्रुप की कंपनियों के शेयर बुरी तरह से टूट गए थे.
इस मामले में शीर्ष अदालत ने 10 फरवरी को कहा था कि अदाणी समूह के शेयरों में गिरावट की पृष्ठभूमि में बाजार में उतार-चढ़ाव से भारतीय निवेशकों के हितों की रक्षा करने की जरूरत है. कोर्ट ने केंद्र से कहा था कि वे नियामकीय तंत्र को मजबूत करने के लिए एक पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में विशेषज्ञों का एक पैनल गठित करने पर विचार करे. केंद्र ने नियामकीय व्यवस्थाओं पर गौर करने के लिए उच्चतम न्यायालय के एक पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने के शीर्ष अदालत के प्रस्ताव पर सहमति जताई थी.
जल्द सामने आएगी सच्चाई
सेबी की ओर से जांच के लिए समय मांगे जाने पर अदानी समूह ने बयान जारी कर कहा है कि हम निमय-कानून और विनियमनों का अनुपालन कर रहे हैं. समूह को पूरा विश्वास है कि जल्द ही सचाई सामने आएगी. हम सेबी के साथ जांच में पूरा सहयोग कर रहे हैं. समूह ने कहा है कि यह ध्यान देने की जरूरत है कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर आवेदन में सेबी ने किसी गलत काम का उल्लेख नहीं किया है.