कोविड के बाद से भले ही शहरी इलाकों में लोगों की आय में इजाफा हुआ हो, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की आमदनी घटी है. फरवरी 2024 तक करीब 27 में से 25 महीनों में ग्रामीण मजदूरी में कमी आई है. सबसे ज्यादा गिरावट फरवरी में 3.1 फीसद देखने को मिली. गांवों में कमाने वालों की इनकम घटने से उनकी खर्च की क्षमता भी कम हो गई है. जिसके चलते दोपहिया वाहनों से लेकर ट्रैक्टरों की बिक्री आदि प्रभावित हुई है.
कमाई घटने के अअलावा ग्रामीण इलाकों में महंगाई दर में भी इजाफा हुआ है. महंगाई बढ़ने के साथ फरवरी तक के चार महीनों में गिरावट विशेष रूप से तेज रही है. नवंबर 2023 से फरवरी 2024 की अवधि में ग्रामीण मजदूरों को करीब 7.1 से लेकर 7.5% के बीच महंगाई दर का सामाना करना पड़ा. ऐसे में माना जा रहा है कि ग्रामीण इलाकों में हालात सुधरने में थोड़ा वक्त लगेगा.
बिक्री हुई प्रभावित
पिछले कुछ समय से ग्रामीण उपभोग में कमजोरी दिखाई दी, यानी लोगों की खर्च की क्षमता कम हुई है. उदाहरण के लिए, 2022 की तुलना में 2023 में ट्रैक्टरों का थोक खरीद लगभग स्थिर रही. जनवरी-मार्च तिमाही में ये 2023 की इसी तिमाही की तुलना में लगभग 23% कम हो गई. इसके अलावा दोपहिया वाहनों की बिक्री, विशेष रूप से कम रेज के मॉडलों की सेल्स भी प्रभावित हुई है. हीरोमोटोकॉर्प जो ग्रामीण बाजार में बड़ी संख्या में बिक्री करता है उसकी चार साल की सीएजीआर या थोक मात्रा में वृद्धि दर, फरवरी, 2024 तक हर महीने नेगेटिव रही.
खपत बढ़ने में लगेगा वक्त
मार्च तिमाही की आय घोषणाओं के बाद कंपनियों की टिप्पणी से संकेत मिलता है कि ग्रामीण खपत बढ़ने में कुछ समय लग सकता है. हिंदुस्तान यूनिलीवर में मार्च तिमाही में केवल 1% की दर से बढ़त हुई. मांग कमजोर हो गई है. एचयूएल प्रबंधन ने पाया कि ग्रामीण सुधार कृषि आय, श्रम आय पर निर्भर है. वहीं डाबर का कहना है कि मार्च तिमाही में ग्रामीण मांग में कुछ सुधार हुआ है.