गोल्ड का भाव हाल ही में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचा है और लंबे समय से भारतीय बाजार में कीमतें 60 हजार रुपए के इर्दगिर्द बनी हुई हैं. इन बढ़ी हुई कीमतों की वजह से देश में सोने की खपत में भारी गिरावट आई है. न सिर्फ ज्वेलरी बल्कि निवेश के लिए भी सोने की मांग में गिरावट देखने को मिली है.
मार्च तिमाही के दौरान हुई सोने की खपत के आंकड़े इसकी तस्दीक कर रहे हैं. खपत 10 तिमाही में सबसे कम है. और पिछले साल की मार्च तिमाही के मुकाबले 17 फीसद घटी है. इस साल मार्च तिमाही के दौरान देश में सिर्फ 112.5 टन सोने की खपत हुई है. पिछले साल यह आंकड़ा 135.5 टन था और पिछले साल की दिसंबर तिमाही में तो 276 टन से ज्यादा सोना देश में खप गया था. कोरोना की शुरुआत वाले साल 2020 को छोड़ दें तो 2016 के बाद कभी भी देश में किसी भी तिमाही में इतने कम सोने की खपत नहीं हुई है.
देश में सोने की जितनी भी खपत होती है उसमें 60-70 फीसद खरीद ज्वेलरी के लिए होती है और गोल्ड का भाव बढ़ने की वजह से ज्वेलरी की मांग पर असर पड़ा है. जिस वजह से सोने की बिक्री में गिरावट आई है. मार्च तिमाही के दौरान देश में ज्वेलरी के लिए सिर्फ 78 टन सोने की मांग दर्ज की गई है. पिछले साल जनवरी से मार्च में यह आंकड़ा 94 टन हुआ करता था. कुछ ऐसा ही हाल सोने के बार और सिक्कों की मांग को लेकर भी है. मार्च तिमाही में उनकी मांग भी 17 फीसद घट गई है. इस साल जनवरी से मार्च के दौरान देश में सोने के बार और सिक्कों की मांग सिर्फ 34 टन दर्ज की गई है जबकि पिछले साल मार्च तिमाही में यह आंकड़ा 41 टन के ऊपर था.
देश में पहले कभी भी सोना इस भाव पर नहीं बिका है जो भाव पिछले हफ्ते देखने को मिला है. एक तोला सोना खरीदने के लिए 60 हजार रुपए से ज्यादा चुकाने पड़ रहे हैं. बढ़े हुए भाव की वजह से रिटेलर्स उतना ही सोना उठा रहे हैं ग्राहक जितना ऑर्डर दे रहा है. यही वजह है कि सोने की मांग में भारी गिरावट आई है.