देश में महंगाई की वजह से देश में खपत की रफ्तार सुस्त पड़ी है. इस वजह से निजी निवेश प्रभावित हुआ है. देश की अर्थव्यवस्था पर पिछले हफ्ते जारी रिजर्व बैंक के डिस्कशन पेपर में यह बात कही गई है. इस पत्र में कहा गया है कि महंगाई को घटाकर उपभोक्ता खर्च को बढ़ाया जा सकता है जिससे कंपनियों के मुनाफे बढ़ाने में मदद मिलेगी.
आरबीआई (RBI) गवर्नर शक्तिकान्त दास (Shaktikanta Das) का कहना है कि महंगाई दर घटी है. हालांकि अल नीनो की चुनौतियों और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चल रहे उठा-पटक के बीच नीतिगत दर में सोच-समझ कर की गई वृद्धि और सरकार के स्तर पर आपूर्ति व्यवस्था बेहतर बनाने के उपायों से खुदरा महंगाई घटी है. केंद्रीय बैंक इसे कम कर चार फीसद के स्तर पर लाने की कोशिश कर रहा है. आरबीआई के गवर्नर ने कहा कि ब्याज दर और मुद्रास्फीति दोनों एक साथ चलते हैं इसीलिए अगर मंहगाई नियंत्रण में आती है तो ब्याज दरें भी कम हो सकती है.
वैश्विक स्तर पर बिगड़े हालात
आरबीआई का कहना है, ‘रूस-यूक्रेन जंग के चलते वैश्विक स्तर पर परिस्थिति अनुकूल नहीं है. इस युद्ध के कारण फरवरी-मार्च 2022 के बाद मुद्रास्फीति बढ़ गई थी. दरअसल, इस युद्ध ने आपूर्ति को बाधित किया है. इसके कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यूक्रेन और मध्य एशिया क्षेत्र से आने वाली चीजें जैसे- गेहूं और खाद्य तेल जैसे कई खाद्य पदार्थ आदि की आपूर्ति बाधित हो गई. ऐसे में इन चीजों की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है. लेकिन उसके तुरंत बाद हमने कई जरूरी फैसले लिए. इसके तहत हमने पिछले साल मई से ब्याज दरें बढ़ाना शुरू किया. सरकार ने भी आपूर्ति व्यवस्था में सुधार के लिए कई उचित कदम उठाए गए. इन उपायों से देश में मुद्रास्फीति में कमी आई है और अभी यह पांच प्रतिशत से नीचे है.’
मुद्रास्फीति दर हो रही है कम
गौरतलब है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर मई महीने में 4.25 प्रतिशत के साथ 25 महीने के निचले स्तर पर रही. साल 2022 में अप्रैल में महंगाई दर 7.8 प्रतिशत तक चली पहुंच गई. महंगाई दर को कम करने के लिए पिछले साल मई से इस साल फरवरी तक 2.5 प्रतिशत रेपो रेट में बढ़ोतरी कर चुका है. हालांकि भारतीय रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति समिति ने वित्त वर्ष 2024 के पहले और दूसरे बैठक के दौरान भी रेपो रेट में कोई बढ़ोतरी नहीं की.
महंगाई से कब मिलेगी राहत
महंगाई से राहत के सवाल पर शक्तिकान्त दास कहना है कि पिछले साल से अब तक मुद्रास्फीति में कमी हुई है. अप्रैल 2022 में यह 7.8 प्रतिशत थी जबकि अब यह 4.25 प्रतिशत पर आ गई है. हम इस पर मुस्तैदी से नजर रखे हैं और इसके लिए जो जरूरी कदम है होगा वह उठाए जाएंगे. केंद्रीय बैंक का कहना है कि अभी यह औसतन 5.1 प्रतिशत रहेगी और अगले साल (2024-25) इसे चार प्रतिशत के स्तर पर लाने की कोशिश की जा रही है और आगे भी जारी रहेगी.