दालों की मांग और बढ़ने का अनुमान

मांग और सप्लाई के बीच अंतर को पाटने के लिए सरकार दालों के उत्‍पादन को बढ़ावा देने और किसानों को प्रोत्साहित करने की कोशिश कर रही है

दालों की मांग और बढ़ने का अनुमान

भारत तेजी से विकास की ओर बढ़ रहा है. अगले कुछ वर्षों में भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्‍मीद है. ऐेसे में दालों की मांग में भी तेजी आने की उम्‍मीद है. मौजूदा समय में भारत सालाना 30 लाख टन से अधिक दालों का आयात करता है. उत्पादन में बढ़ोतरी के बावजूद मांग और आपूर्ति के बीच अंतर जारी है. मांग और सप्लाई के बीच अंतर को पाटने के लिए सरकार दालों के उत्‍पादन को बढ़ावा देने और किसानों को प्रोत्साहित करने की कोशिश कर रही है.

ग्लोबल पल्स कन्फेडरेशन (GPC) की ओर से आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विदेश व्यापार महानिदेशक (DGFT) संतोष कुमार सारंगी ने कहा कि भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के बढ़ने पर देश में प्रोटीन आधारित भोजन की जरूरत बढ़ जाएगी. भारत के तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनते ही यह एक अधिक समृद्ध देश होगा. यहां लोगों के पास चीजें ज्‍यादा खरीदने के लिए पैसा होगा. इसका मतलब यह है कि बाजार में प्रोटीन आधारित भोजन की अधिक मांग होगी. आने वाले वर्षों में गेहूं और गेहूं-उत्पादों, दूध और डेयरी उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ने वाली है.

सारंगी ने यह भी बताया कि 2016-17 में भारत में दालों का उत्‍पादन महज 17 मिलियन टन था, लेकिन अब यह बढ़कर 25-26 मिलियन टन हो गया है. उत्पादन में इस वृद्धि के बावजूद, बढ़ती क्रय शक्ति के साथ-साथ भारतीयों की आहार संबंधी आदतें बदल रही है. ऐसे में उच्च आयात के जरिए मांग और आपूर्ति के बीच के अंतर को पूरा करना जरूरी हो गया है.

इन देशों से हो रहा दालों का आयात

देश में पिछले कुछ वर्षों में हर साल 2.5 मिलियन टन से 3 मिलियन टन तक दालों का आयात किया जा रहा है. चालू वर्ष में भारत पहले ही 3 मिलियन टन से अधिक दालों का आयात कर चुका है. देश अफ्रीका, ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा या रूस जैसे देशों से दालें मंगा रहे हैं.

भारत ने अपनी EXIM नीति का उपयोग किफायती कीमत पर उच्च गुणवत्ता वाली वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति करने के लिए किया है. इससे दुनिया के विभिन्न दालों की खेती करने वाले क्षेत्रों से भी मदद ली जाती है. सारंगी ने तीन अफ्रीकी देशों के साथ एमओयू की भी बात बताई, जिसमें उन्हें भारत में आयात प्रतिबंध होने पर भी एक निश्चित छूट का आश्वासन दिया गया है. इसके अलावा, सरकार ने मुफ्त आयात नीति व्यवस्था को 31 मार्च, 2025 तक बढ़ा दिया है. इससे इससे उत्पादक क्षेत्रों को दालें उगाने और भारत में मांग को पूरा करने में सही डील मिलेगी.

Published - February 17, 2024, 06:18 IST