जियो टैगिंग से प्राइवेसी को कितना बड़ा खतरा?

पीडब्‍ल्‍यूसी की ओर से किए गए एक सर्वे के मुताबिक करीब 47 फीसद लोग अपनी प्राइवेसी को लेकर चिंतिंत हैं

  • Updated Date - June 19, 2023, 02:16 IST
जियो टैगिंग से प्राइवेसी को कितना बड़ा खतरा?

Privacy issue with geo tagging pic: tv9 bharatvarsh

Privacy issue with geo tagging pic: tv9 bharatvarsh

टेक्‍नोलॉजी के विकास से कई काम आसान हो गए हैं लेकिन इसके चलते लोगों की प्राइवेसी खतरे में पड़ गई है. पहले लोग सोशल मीडिया पर अपनी तस्‍वीरें पोस्‍ट करते समय जियो टैगिंग (Geo Tagging) के जरिए अपनी लोकेशन भी शेयर करते थे, लेकिन डेटा लीक के चलते लोगाें को अपनी प्राइवेसी की चिंता सताने लगी है. यही वजह है कि अब लोगों ने जियो टैगिंग का इस्‍तेमाल काफी कम कर दिया है. इस बात की पुष्टि पीडब्‍ल्‍यूृसी की ओर से किए गए एक सर्वे में हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक करीब 47 फीसद यूजर्स सोशल मीडिया में दोस्‍तों के साथ जुड़ते समय अपनी प्राइवेसी को लेकर काफी चिंतिंत रहते हैं. इंटरनेट की समझ रखने वाले लोग जरूरत से ज्‍यादा व्यक्तिगत डेटा साझा करने से कतरा रहे हैं.

कुछ वर्षों पहले तक सोशल मीडिया यूजर्स के लिए लोकेशन ऐड करना एक अहम हिस्‍सा हुआ करता था, लेकिन बीते तीन से चार वर्षों में बहुत से यूजर्स ने तस्‍वीरें पोस्‍ट करते समय जियो टैगिंग का इस्‍तेमाल बंद कर दिया है. उन्‍हें अपने डेटा लीक होने का डर है. इसके अलावा सार्वजनिक रूप से लोकेशन शेयर करने का चलन धीरे-धीरे कम हो रहा है, इस वजह से भी यूजर्स ऐसा करने से बच रहे हैं.

तेजी से कम हुई जियो टैगिंग
रिपोर्ट्स के अनुसार कोरोना महामारी से पहले करीब 10 में से 9 लोग अपनी पोस्‍ट के साथ लोकेशन ऐड करते थे, लेकिन कोविड काल के बाद से इसका इस्‍तेमाल काफी कम हो गया है. अब महज तीन से पांच लोग ही इस टूल का इस्‍तेमाल कर रहे हैं. बहुत से कॉन्‍टेंट क्रिएटर और सेलेब्‍स भी अब अपनी लोकेशन शेयर नहीं करते हैं. वहीं कई लोग अब लोकेशन रियल टाइम में शेयर नहीं करते बल्कि वे उस जगह को छोड़ने के बाद उस जगह की डिटेल साझा करते हैं.

क्‍या कहते हैं एक्‍सपर्ट?
साइबर एक्सपर्ट्स दिव्या तंवर कहती हैं कि जियो टैगिंग शुरू से ही प्राइवेसी के लिए खतरा रहा है, जिन्‍होंने सोशल मीडिया पर लंबा वक्‍त बिताया है वह इस बात को अच्छी तरह से समझ सकते हैं. ये स्टॉकर्स के लिए मददगार होता है, उन्‍हें लोकेशन टैग से पता चल जाता है कि आप कहां हैं, इससे लोगों की प्राइवेसी खतरे में पड़ सकती है. पहले लोकेशन टैग करने का मकसद अपनी सोशल छवि को बेहतर दिखाना भी था, जैसे किसी महंगे रेस्‍टोरेंस में खाना खाने से लेकर घूमने की बढि़या जगह आदि लेकिन यह शौक अब आपके लिए मुसीबत बन सकता है.

क्‍या होती है जियो टैगिंग?
जियो टैगिंग का मतलब है किसी जगह की भौगोलिक स्थिति की फोटो या वीडियो के जरिए सटीक जानकारी देना. इससे उस जगह की लोकेशन जानी जाती है, जहां आप हैं. इस टूल की मदद से गूगल मैप की मदद से आसानी से उस जगह का पता किया जा सकता है.

Published - June 19, 2023, 02:15 IST