अलनीनो की वजह से इस साल भारत में मानसून की बरसात प्रभावित हुई है और अगले साल इसकी वजह से मलेशिया और इंडोनेशिया में पाम ऑयल के उत्पादन पर असर पड़ सकता है. बीएमआई इंडस्ट्री रिसर्च की रिपोर्ट में कम उत्पादन की आशंका को देखते हुए 2024 के लिए पाम ऑयल उत्पादन के औसत भाव में बढ़ोतरी की गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्पादन में कमी की वजह से पाम तेल की कीमतों में बढ़ोतरी होगी और 2024 के दौरान औसत भाव 3,515 रिंगिट तक पहुंच जाएगा. पहले 3,400 रिंगिट का अनुमान लगाया गया था. पाम ऑयल की कीमतों में बढ़ोतरी के अनुमान से भारत का पाम ऑयल इंपोर्ट महंगा हो सकता है जिसके चलते वहां भी इसकी कीमतें बढ़ सकती हैं.
भारत में जरूरत का करीब 60 फीसद खाने का तेल इंपोर्ट होता है. इंपोर्ट होने वाले कुल तेल में करीब 60 फीसद हिस्सेदारी पाम तेल की है और अधिकतर आयात मलेशिया और इंडोनेशिया से ही होता है. विश्व बैंक की कमोडिटी आउटलुक के मुताबिक 2023-24 में पाम तेल का उत्पादन सिर्फ 0.2 मिलियन टन बढ़ने का अनुमान है, जो कि बीते दस सीजन में 25 लाख टन की औसत सालाना ग्रोथ से काफी कम है. फिच सॉल्यूशंस की रिसर्च एजेंसी बीएमआई के मुताबिक इंडोनेशिया में हाल ही में सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई है. खासकर सुमात्रा और कालीमंतन द्वीपों के दक्षिणी हिस्सों में पिछले तीन महीनों में तुलनात्मक रूप से काफी कम बारिश हुई है.
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया यानी एसईए के कार्यकारी निदेशक बीवी मेहता के मुताबिक अलनीनो का असर आमतौर पर 7-8 महीनों के बाद दिखाई पड़ता है. मान लीजिए कि सितंबर-अक्टूबर अलनीनो के महीने हैं तो इसका असर अप्रैल-जून 2024 में दिखाई देगा. उनका कहना है कि पाम ऑयल के उत्पादन में निश्चित रूप से कमी आएगी, क्योंकि यह एक सामान्य घटना है.
विश्व बैंक के आउटलुक के मुताबिक इंडोनेशिया और मलेशिया से अधिक उत्पादन और निर्यात की वजह से तीसरी तिमाही में पाम तेल की कीमतों में 7 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है. बता दें कि वैश्विक पाम तेल निर्यात में इंडोनेशिया और मलेशिया की 85 फीसद से ज्यादा की हिस्सेदारी है. साथ ही 2022-23 में वैश्विक पाम तेल निर्यात में पिछले साल की तुलना में करीब 15 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.