प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 की शुरुआत में कहा था कि सरकार ने कच्चे तेल के आयात को 10 फीसद घटाने के लिए कई निर्णायक कदम उठाए हैं और 2022 तक कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता को घटाना है. लेकिन भारत में कच्चे तेल के आयात की स्थिति देखें तो आयात 10 फीसद घटने के बजाय लगभग 3 फीसद बढ़ गया है और घरेलू उत्पादन में करीब 10 फीसद की गिरावट आ चुकी है.
कच्चे तेल के उत्पादन को लेकर सरकार से संसद में पूछे गए सवाल के जवाब में सरकार ने जो आंकड़े रखे हैं उनसे पता चलता है कि 2018-19 के दौरान देश में कच्चे तेल का सालाना उत्पादन 3.42 करोड़ टन था जो 2022-23 में घटकर 2.91 करोड़ टन रह गया है. इसी तरह कच्चे तेल के आयात के आंकड़े देखें तो वित्तवर्ष 2018-19 के दौरान देश में 22.65 करोड़ टन कच्चे तेल का आयात हुआ था और 2022-23 में यह आंकड़ा बढ़कर 23.27 करोड़ टन हो गया.
सरकार के आंकड़ों से पता चलता है कि देश में 24 कंपनियां कच्चे तेल का उत्पादन कर रही है जिनमें 4 कंपनियां सरकारी हैं और बाकी निजी क्षेत्र की कंपनियां है. देश में होने वाले कच्चे तेल के उत्पादन में अधिकतर हिस्सेदारी सरकारी कंपनी ONGC की है. लेकिन पिछले 5 वर्षों के दौरान ONGC के तेल उत्पादन में भी लगातार गिरावट दर्ज की गई है. 2018-19 के दौरान ONGC ने 2.11 करोड़ टन तेल का उत्पादन किया था और 2022-23 में यह आंकड़ा घटकर 1.96 करोड़ टन रह गया.
देश में कच्चे तेल का उत्पादन करने वाली 24 कंपनियों में अधिकतर ऐसी हैं जिनका सालाना उत्पादन ना के बराबर है. सरकारी गैस कंपनी गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड यानी GAIL ने वित्तवर्ष 2022-23 के दौरान सिर्फ 20 टन कच्चे तेल का उत्पादन किया है, इसी तरह निजी कंपनी रामायनलस्पात प्राइवेट लिमिटेड ने भी 20 टन तेल का उत्पादन किया है. साउथ एशिया कंस्लटेंसी नाम की कंपनी ने सिर्फ 40 टन कच्चा तेल पैदा किया है. कृति एंड कंपनी लॉजिस्टिक ने 700 टन, ऑयलेक्स ने भी 700 टन और निप्पन पावर लिमिटेड ने 2022-23 के दौरान 800 टन कच्चे तेल का उत्पादन किया है. इसी तरह एस्सार ऑयल एंड गैस एक्सप्लोरेशन नाम की कंपनी ने 600 टन, पैन इंडिया कंस्लटेंट ने 700 टन और गुजरात नेचुरल रिसोर्सेज लिमिटेड ने 2300 टन कच्चा तेल पैदा किया है.
कच्चे तेल के उत्पादन के मामले में सिर्फ ONGC, ऑयल इंडिया लिमिटेड और वेदांत ही ऐसी कंपनियां हैं जिनका तेल उत्पादन कुछ मायने रखता है, लेकिन पिछले 5 वर्षों के दौरान इन तेल कंपनियों के उत्पादन में भी लगातार गिरावट देखने को मिली है. अब देश की ऑयल कंपनियां अगर सालभर में इस तरह का तेल उत्पादन करेंगी तो फिर कच्चे तेल के मामले में भारत आत्मनिर्भर कैसे हो पाएगा.