नासिक में लगभग 500 प्याज व्यापारियों ने सरकारी नीतियों के खिलाफ बुधवार को अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी. इसकी वजह से जिले में कृषि उपज बाजार समितियों (APMC) में प्याज की नीलामी रुक गई. चूंकि नासिक लासलगांव में एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी है और यहां व्यापारी हड़ताल पर हैं, इससे दूसरे राज्यों में प्याज की आपूर्ति प्रभावित हो सकती है.
व्यापारियों का आरोप है कि सरकारी एजेंसियां जैसे- नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NAFED) और नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NCCF) नासिक में किसानों से प्याज खरीद रही हैं और अन्य राज्यों में एपीएमसी को काफी कम कीमत पर बेच रही हैं. व्यापारियों के मुताबिक पहले चरण में, नेफेड और एनसीसीएफ ने तीन लाख क्विंटल प्याज खरीदा और वर्तमान में नासिक में अतिरिक्त दो लाख क्विंटल प्याज खरीदने की प्रक्रिया में हैं.
व्यापारी नेफेड और एनसीसीएफ से एपीएमसी के बजाय खुदरा बाजारों में अपना बफर स्टॉक जारी करने का आग्रह कर रहे हैं. इसके अलावा, व्यापारियों ने मांग की है कि केंद्र पिछले महीने प्याज पर लगाए गए 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क पर पुनर्विचार करे. हालांकि इस बीच, प्याज किसानों ने हड़ताल का विरोध करते हुए कहा है कि पहले ही कीमतों में उतार-चढ़ाव के कारण प्याज किसान परेशान हैं और व्यापारियों की हड़ताल से किसानों की परेशानी और बढ़ जाएगी. सरकार की ओर से प्याज पर लगाए गए निर्यात शुल्क के बारे में खाद्य मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि प्याज पर निर्यात शुल्क लगाने का फैसला बहुत सोच समझकर लिया गया है. इसका मकसद प्याज की घरेलू आपूर्ति को बढ़ाना है.
बता दें बेमौसम बारिश के चलते कुछ समय पहले प्याज की कीमत आसमान छू रही थीं. एक किलो प्याज की कीमत 130 से 140 रुपए हो गई थी. हालांकि बाद में स्थिति में सुधार आया. सरकार ने साल 2022-23 में बफर स्टॉक के लिए 0.25 मीट्रिक टन प्याज खरीदा था, जबकि पिछले वर्ष बफर स्टॉक के रूप में 0.2 मीट्रिक टन प्याज खरीदा गया था. वर्ष 2022-23 (जुलाई-जून) के दौरान प्याज का अनुमानित उत्पादन पिछले वर्ष के 31.7 मीट्रिक टन के मुकाबले मामूली गिरावट के साथ 31.01 मीट्रिक टन रह गया है. भारत ने 2022-23 में रिकॉर्ड 2.5 मीट्रिक टन प्याज का निर्यात किया था, जो पिछले वित्त वर्ष से 65% अधिक है. भारत प्याज का सबसे बड़ा उत्पादक है और देश के उत्पादन में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और गुजरात की हिस्सेदारी 70% से अधिक है.