अनियमित मानसून और नए फसल के न आने से प्याज की आवक प्रभावित हुई है. ऐसे में खुदरा बाजार में प्याज की कीमतें आसमान छू रही हैं. प्याज की लगातार बढ़ती कीमतों से महंगाई में भी इजाफा होने की आशंका है. अर्थशास्त्रियों का कहना है कि प्याज की बढ़ती कीमतों का अक्टूबर में मुद्रास्फीति पर ज्यादा प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है, लेकिन आने वाले महीनों में महंगाई दर बढ़कर लगभग 6% के स्तर तक पहुंच सकती है. पिछले महीने की तुलना में नवंबर के पहले सप्ताह में प्याज की कीमतें लगभग 75% बढ़ गई हैं.
अर्थशास्त्रियों के अनुसार अक्टूबर में व्यापक सब्जी की कीमतों में वृद्धि के साथ उम्मीद की जा रही है कि सीपीआई महंगाई दर सितंबर में 5.0% से बढ़कर 5.3% हो जाएगी. जबकि नवंबर/दिसंबर में महंगाई का स्तर 6% तक पहुंचने की आशंका है. एक्सपर्ट का तर्क है कि टमाटर की कीमतें गिरने से अक्टूबर में मुद्रास्फीति पर नियंत्रण रहने की उम्मीद है, मगर प्याज महंगा होने से आगे स्थिति और खराब हो सकती है.
राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड की दैनिक खाद्य कीमतें अक्टूबर में प्याज की कीमतों में महीने दर महीने 10.9% वृद्धि का संकेत दे रही हैं, जिसका मुकाबला टमाटर की कीमतों में 9.3% की गिरावट से किया जा रहा है. अक्टूबर में आलू की कीमतों में भी हल्की गिरावट देखने को मिल रही है. अर्थशात्रियों को कहना है कि सब्जियों की कीमतें महीने-दर-महीने आधार पर हल्की सकारात्मक वृद्धि दिखा रही हैं.
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस का कहना है कि खुदरा कीमतें साल-दर-साल आधार पर 30-40% बढ़ रही हैं, इसलिए अक्टूबर में प्रभाव लगभग 0.19-0.24% हो सकता है. प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी असमान मानसून वितरण के कारण है, जिसने सितंबर और अक्टूबर में आवक को प्रभावित किया है, लेकिन आपूर्ति में व्यवधान उतना बड़ा नहीं है जितना टमाटर के मामले में था. सेनगुप्ता ने कहा मौसमी तौर पर प्याज की कीमतें अक्टूबर और नवंबर में बढ़ती हैं और फिर दिसंबर या जनवरी में गिर जाती हैं.
बता दें सरकार के पास प्याज का 500,000 टन का बफर स्टॉक है. 28 अक्टूबर तक सरकार 170,000 टन माल उतार चुकी थी. नोमुरा के अर्थशास्त्रियों ने कहा कि सरकार ने प्याज पर निर्यात शुल्क, न्यूनतम निर्यात मूल्य और बफर स्टॉक हटाने की घोषणा कर दी है, हालांकि कीमतें अभी कम नहीं हुई हैं. सरकार अक्टूबर की महंगाई दर के आंकड़े 13 नवंबर को जारी करेगी.