अब आई प्‍याज की बारी!

खरीफ फसल की बुआई में देरी से प्‍याज की नई आवक आने में इस बार देर होगी

अब आई प्‍याज की बारी!

200 रुपए किलो तक बिक चुके महंगे टमाटर से अभी राहत भी नहीं मिली है. उधर आलू और प्‍याज ने अपने तीखे तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं. कर्नाटक और महाराष्‍ट्र के प्रमुख प्‍याज उत्‍पादक क्षेत्रों में इस बार बारिश की देरी से खरीफ बुवाई पिछड़ गई है. खरीफ फसल की बुआई में इस देरी से प्‍याज की नई आवक आने में इस बार देर होगी. प्‍याज उत्‍पादकों का कहना है कि इस बार खरीफ फसल का प्‍याज बाजारों में सितंबर-अक्‍टूबर तक आएगा. इससे प्याज की कीमतों में उछाल आने की आशंका बढ़ गई है. वहीं दूसरी ओर पश्चिम बंगाल में उत्‍पादन घटने के चलते आलू की कीमतें भी बढ़ना शुरू हो गई हैं.

क्‍या है अभी प्‍याज का हाल
एशिया की सबसे बड़ी प्‍याज मंडी लासलगांव में प्‍याज का मॉडल प्राइस (वह मूल्‍य जिस पर सबसे ज्‍यादा कारोबार होता है) जून से जुलाई के बीच करीब 550 रुपए क्विंटल बढ़ चुका है. जून में यहां प्‍याज का मॉडल प्राइस 800 रुपए क्विंटल था, जो अब 1350 रुपए क्विंटल हो गया है. कृषि मंत्रालय के मुताबिक 14 जुलाई तक 32,000 हेक्‍टेयर में प्‍याज की बुवाई हुई है. पिछले साल यह आंकड़ा 36,000 हेक्‍टेयर था. चालू खरीफ सीजन में प्‍याज का रकबा 3.41 लाख हेक्‍टेयर करने का लक्ष्‍य रखा गया है. पिछले साल कुल 3.29 लाख हेक्‍टेयर क्षेत्रफल में प्‍याज की फसल उगाई गई थी.

आपूर्ति में कमी बढ़ाएगी मुश्किल
कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और महाराष्‍ट्र में पिछले कुछ दिनों में हुई बारिश ने प्‍याज की बुवाई में तेजी ला दी है. अगस्‍त के मध्‍य तक प्‍याज का जो रकबा इस बार रखा गया है, उसतक पहुंचने की उम्‍मीद है. पिछले कई बार से अगस्‍त-सितंबर में हो रही बारिश से प्‍याज की फसल को नुकसान पहुंचता हुआ देखा गया है. इस बार भी इस बात की संभावना अधिक है. कम बारिश की वजह से इस बार महाराष्‍ट्र में अबतक कुल प्‍याज के रकबे में से 74 फीसदी में ही बुवाई हो पाई है. पिछले साल अबतक प्‍याज की बुवाई का रकबा 83 फीसदी था.

किसानों को सता रहा है डर
प्‍याज उत्‍पादक किसानों को डर है कि खरीफ फसल में देरी होने और चाल में रखी रबि सीजन की फसल को नुकसान पहुंचने से प्‍याज की आपूर्ति प्रभावित हो सकती है. पिछले कई सीजन से प्‍याज की अच्‍छी कीमत न मिलने से महाराष्‍ट्र में किसानों ने इस बार प्‍याज के बजाय अन्‍य फसलों की बुवाई की है. इस वजह से भी प्‍याज की आपूर्ति कम रहने की आशंका है.

सितंबर-अक्‍टूबर में बढ़ सकती है कीमत
ऊपर बताए गए कारणों की वजह से बाजार में प्‍याज की आपूर्ति टाइट रह सकती है. सितंबर और अक्‍टूबर के महीने में प्‍याज की आपूर्ति में कमी आने की संभावना जताई जा रही है. भारत में ये त्‍योहारी समय है और प्‍याज की मांग भी अधिक रहती है. ऐसे में इसकी कीमतों में तेजी आने की पूरी संभावना है.

आलू होने लगा महंगा
भारत में दूसरे सबसे बड़े आलू उत्‍पादक राज्‍य पश्चिम बंगाल में आलू उत्‍पादन 23 फीसद घटा है. इसके अलावा कोल्‍ड स्‍टोरेज से उम्‍मीद से कम आलू बाहर आने से प्रमुख आलू उत्‍पादक बाजारों उत्‍तर प्रदेश, पंजाब और गुजरात में इसकी कीमतों में तेजी आने लगी है. यहां आलू का थोक भाव अभी 16 से 18 रुपए प्रति किलो के आसपास है. लेकिन पश्चिम बंगाल में आलू की कीमत तुलनात्‍मक रूप से 21 से 23 रुपए प्रति किलो चल रही है. आलू की कीमत में सालाना आधार पर करीब 60 फीसद तक का उछाल आ चुका है. राष्‍ट्रीय स्‍तर पर आलू का मॉडल प्राइस 16.31 रुपए प्रति किलोग्राम पर पहुंच चुका है, जो एक साल पहले समान अवधि में 10.36 रुपए प्रति किलो था.

महंगे टमाटर से मिलेगी राहत
सरकार के हस्‍तक्षेप के बाद टमाटर की कीमतें घटने लगी हैं. लेकिन इस गिरावट की रफ्तार अभी भी बहुत धीमी है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगस्‍त के मध्‍य तक टमाटर की कीमत घटकर करीब 30 रुपए प्रति किलोग्राम तक आ सकती है.

Published - July 21, 2023, 01:01 IST