देश छोड़कर बाहर के देशों में बसने वाले भारतीयों की संख्या में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है. पिछले 12 साल में 16.50 लाख से ज्यादा भारतीय देश छोड़कर विदेश में बस चुके हैं. संसद में एक सवाल के लिखित जवाब में विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने बताया है कि साल 2022 में 2,25,620 भारतीयों ने नागरिकता छोड़ दी थी, जबकि 2021 और 2020 में यह आंकड़ा क्रमश: 1,63,370 और 85,256 था. उनका कहना है कि देश की राजधानी दिल्ली के लोग पासपोर्ट वापस जमा करने में सबसे आगे रहे हैं. यानी कि अन्य राज्यों की तुलना में दिल्ली के लोगों ने सबसे ज्यादा नागरिकता छोड़ी है. साल 2014 से 2022 की अवधि में दिल्ली के 60,414 लोगों ने अपने पासपोर्ट वापस जमा कराए थे.
2020 में सबसे कम लोगों ने नागरिकता छोड़ी
वी मुरलीधरन ने बताया कि बीते 12 साल में नागरिकता छोड़कर विदेश में बसने वालों की कुल संख्या 16,63,440 रही है. हालांकि कोविड महामारी की वजह से 2020 में सिर्फ 85,256 भारतीयों ने नागरिकता छोड़ी थी, जो कि पिछले 12 साल में सबसे कम आंकड़ा है.
सबसे ज्यादा दिल्ली के लोगों ने छोड़ी नागरिकता
साल 2014 से 2022 की अवधि के दौरान दिल्ली के 60,414 लोगों ने अपने पासपोर्ट वापस जमा किए थे. उसके बाद पंजाब और गुजरात के लोग विदेश बसने में आगे रहे हैं. 2014 से 2022 में पंजाब और गुजरात के क्रमश: 28,117 और 22,300 लोगों ने अपने पासपोर्ट जमा किए थे. वी मुरलीधरन का कहना है कि बसने के लिए भारतीयों की सबसे पसंदीदा जगह अमेरिका रहा है. 2022 में 8,048 भारतीयों ने अमेरिका की नागरिकता ली थी, जबकि 6,507 भारतीयों ने कनाडा की नागरिकता हासिल की थी. अमेरिका और कनाडा के बाद भारतीयों ने सबसे ज्यादा ऑस्ट्रेलिया और यूनाइटेड किंग्डम की नागरिकता ली थी. बड़ी संख्या में अपना पासपोर्ट सरेंडर करके विदेशी नागरिकता हासिल करने के सवाल पर वी मुरलीधरन ने बताया कि व्यक्तिगत कारणों की वजह से भारतीयों ने विदेशी नागरिकता हासिल की है.