क्या धोखा है क्विक कॉमर्स?

कुछ ऐप्स पर एक मिनिमम अमाउंट के आइटम ऑर्डर करने पर आप डिलीवरी चार्ज से बच सकते हैं

क्या धोखा है क्विक कॉमर्स?

अनामिका ऑफिस से थकी-हारी घर आईं. घर आते ही चाय की तलब हुई तो किचन गईं. लेकिन देखती हैं दूध और चाय पत्ती दोनों ही खत्म हैं. वो फटाफट एक क्विक कॉमर्स ऐप खोलती हैं और दूध, चाय, पत्ती कार्ट में ऐड कर लेती हैं. लेकिन उनका माथा तब ठनकता है, जब वे देखती हैं कि उनके ऑर्डर पर 30 रुपए का डिलीवरी चार्ज भी लग रहा था. डिलीवरी चार्ज तो तब भी ठीक था, उसके साथ 16 रुपए का हेवी डिमांड सर्ज प्राइस, 15 रुपए की स्मॉल कार्ट फीस और 4 रुपए का हैंडलिंग चार्ज भी ऐड हो गया. मतलब जितने का सामान आ रहा है. उससे आधे पैसे तो अलग-अलग चार्ज में भरने पड़ रहे हैं. अनामिका ने ये चार्जेज देखने के बाद ऑर्डर नहीं किया, खुद बिल्डिंग से नीचे गईं और सामान खरीद लाईं.

अनामिका जैसा एक्सपीरियंस क्विक कॉमर्स ऐप्स का इस्तेमाल करने वाले लगभग हर यूजर का एक्सपीरियंस है. ये ऐप्स जब नए आए थे, तब तो आपको ढेरों डिस्काउंट दिया. लेकिन एक समय के बाद जब आप उनपर हद से ज्यादा निर्भर हो गए तो ढेरों चार्जेज लगाने लगे. अब बारी-बारी से समझते हैं कि ये ऐप्स जो चार्जेज लगा रहे हैं. वो क्या हैं और किस तरह वसूले जा रहे हैं. साथ ही ये भी जानेंगे कि इनसे आप कैसे बच सकते हैं?

तो सबसे पहले बात सर्ज प्राइसिंग की. अब तक ओला और उबर जैसे कैब एग्रीगेटर ऐप्स ही सर्ज प्राइस लगाते थे. पीक ऑवर्स में आपको राइड और महंगी मिलती थी. लेकिन अब क्विक कॉमर्स साइट के तो मानो ये पर्याय ही बन गए हैं. कभी पीक ऑवर्स, तो कभी हाई डिमांड तो कभी नाइट चार्ज के नाम पर कीमतें बढ़ जाती हैं. कभी बारिश हुई तो अलग हाई सर्ज प्राइस जुड़ जाता है. इस तरह से कुल मिलाकर 20 रुपए से लेकर 100 रुपए तक का सर्ज प्राइस देना पड़ रहा है. Blinkit, Zepto, Big Basket, Instamart जैसे तमाम ऐप्स ये चार्ज वसूल रहे हैं.

अब बात करते हैं हैंडलिंग चार्ज की. चाहे आप 10 रुपए का सामान मंगाएं या फिर 1,000 रुपए का. हर ऑर्डर के साथ हैंडलिंग चार्ज लगता है. ये चार्ज एक तरह की पैकेजिंग फीस है. लगभग सारे क्विक कॉमर्स ऐप्स ये चार्ज लगाते हैं. अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर ये चार्ज अलग-अलग हो सकता है.

इसके बाद आते हैं स्मॉल कार्ट फीस पर जो आपको 50-100 रुपए का सामान मंगाने पर देना पड़ता है. ये फीस 10-15 रुपए तक हो सकती है इसलिए कम आइटम ऑर्डर करना आपकी तत्काल की जरूरत को तो पूरा कर सकता है, साथ ही आपकी जेब में सेध भी लगाता है. इन सबके अलावा लॉन्ग डिस्टेंस चार्ज भी लगता है. ये 5 से 20 रुपए हो सकता है. ये ऐप्स आपके घर से ज्यादा डिस्टेंस का हवाला देते हुए, ये चार्ज लगाते हैं. तो ये वो अलग-अलग चार्जेज हैं जो क्विक कॉमर्स ऐप्स या इंस्टेंट डिलीवरी ऐप्स आपसे वसूलते हैं…जिस तरह इन कंपनियों की बिजनेस स्ट्रैटजी बदल रही है, ये आपसे आगे और भी नए तरह के चार्जेज वसूल सकते हैं.

आखिर में ये सवाल उठता है कि ऐसे तमाम चार्जेज से कैसे बचें?

कुछ सुझाव हैं जिनसे आप इतने तरह के चार्जेज से बच सकते हैं. कुछ ऐप्स पर एक मिनिमम अमाउंट के आइटम ऑर्डर करने पर आप डिलीवरी चार्ज से बच सकते हैं. कहीं ये मिनिमम अमाउंट 199 रुपए है तो कहीं 250 रुपए. तो छोटी वैल्यू के ऑर्डर करने से बचें. इसके अलावा डिस्काउंट और प्रोमो कोड जरूर देखें. ये अप्लाई करने पर किसी ई-वॉलेट पर कैशबैक, क्रेडिट/डेबिट कार्ड से पेमेंट पर डिस्काउंट मिल सकता है. पीक ऑवर्स में ऑर्डर करने से बचें, इससे आपको सर्ज प्राइस नहीं देना होगा.

Published - September 30, 2023, 08:27 IST