खाद्य कीमतों में मंदी और कच्चे तेल में सरकार की ओर से सब्सिडी दिए जाने से पिछले महीने खुदरा महंगाई दर में गिरावट आने का अनुमान है. रॉयटर्स की ओर से किए गए एक सर्वे के अनुसार, भारत में महंगाई दर अगस्त के 6.83 प्रतिशत से घटकर सितंबर में 5.50 फीसद हो सकती है.
इस सर्वे में 66 अर्थशास्त्रियों को शामिल किया गया था. औसत उम्मीद यह है कि सितंबर में मुद्रास्फीति अगस्त के मुकाबले कम हो सकती है. तीन-चौथाई से अधिक जानकारों को उम्मीद है कि मुद्रास्फीति केंद्रीय बैंक की ओर से निर्धारित लक्ष्य सीमा की ऊपरी सीमा से कम रहेगी. बता दें 6 अक्टूबर को मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक की घोषणा के दौरान, आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक ने लगातार चौथी बैठक के लिए अपनी वर्तमान मौद्रिक नीति को बरकरार रखा है. आरबीआई ने संकेत दिया कि महंगाई 4 प्रतिशत तक पहुंचने तक ब्याज दरें ऊंची रहेंगी, जो केंद्रीय बैंक की 2-6 प्रतिशत की लक्ष्य सीमा का सेंटर प्वाइंट है. खाद्य लागत में वृद्धि, जो सीपीआई का लगभग आधा हिस्सा है, सरकार की ओर से आपूर्ति बढ़ाने के उपायों को लागू करने के बाद इसमें धीरे-धीरे गिरावट आ रही है.
एएनजेड रिसर्च के अर्थशास्त्री धीरज निम का कहना है सब्जियों की कीमतें कम हो रही हैं, एक समय टमाटर बहुत महंगा था. अब कीमतों में काफी सुधार हुआ है. हालांकि खाद्य महंगाई में अनाज, दालों और मसालों को लेकर हमेशा समस्या बनी रहती है. इसके अलावा कच्चे तेल की कीमतों में उछाल से महंगाई लगातार बने रहने की उम्मीद है. बता दें भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है. सोमवार को तेल की कीमतें करीब 3 फीसदी बढ़कर 90 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गईं. ऑक्सफ़ोर्ड इकोनॉमिक्स के एलेक्जेंड्रा हरमन का कहना है कि आपूर्ति में वैश्विक चिंताओं के कारण शेष वर्ष के दौरान तेल की कीमतें ऊंचे रहने का अनुमान है. महंगाई दर 2025 की दूसरी तिमाही तक 4 प्रतिशत से ऊपर बनी रहने की उम्मीद है.