क्रिप्टो करेंसी को लेकर शुरू से ही काफी कंफ्यूजन है. हालांकि अमेरिका समेत कई देशों में इसे स्वीकार कर लिया गया है. अमेरिकी प्रतिभूति एवं विनिमय आयोग ने भी क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) को मंजूरी दे दी है. इसके बावजूद भी भारतीय अमीर इस पर दांव लगाने को लेकर असमंजस्य में हैं.
क्रिप्टो में जैसे सीधी खरीद होती है, वहीं ईटीएफ में निवेश एक रेगुलेटेड फंड की ओर से जारी इकाइयों या एक्सचेजों के जरिए कर सकते हैं. भारतीय रिजर्व बैंक की लिब्रलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) के तहत विदेश में क्रिप्टो में निवेश करने को लेकर निवासी व्यक्तियों पर कोई विशेष प्रतिबंध नहीं है. हालांकि इसके बावजूद कुछ बैंक ग्राहकों से अंडरटेकिंग फॉर्म भरवाते हैं और जोर देते हैं कि वे वर्चुअल डिजिटल संपत्ति (VDA) क्रिप्टो में निवेश नहीं करेंगे.
वेल्थ मैनेजरों के मुताबिक कुछ भारतीयों ने नए फंड ट्रांसफर करने के बजाय विदेशी बैंक खातों में पड़े निष्क्रिय फंड से हाल ही में लॉन्च हुए ईटीएफ में निवेश किया है. जयंतीलाल ठक्कर के पार्टनर राजेश पी शाह का कहना है कि कई भारतीय निवासियों ने विदेशों में वैकल्पिक टोकन या क्रिप्टो खरीदने के लिए एलआरएस का उपयोग किया है. उनमें से कुछ ने फंड या ईटीएफ फंड की इकाइयों में निवेश किया है, जिन्होंने बदले में क्रिप्टो में पैसा लगया है. मगर अभी भी इसमें कई कंफ्यूजन है क्योंकि आरबीआई ने स्पष्टीकरण नहीं दिया है क्या इसकी अनुमति है. वैसे निवेशकों को अधिकतम मार्जिनल दर पर बिक्री पर हुए मुनाफे पर टैक्स चुकाना होगा और अपने आयकर फॉर्म की विदेशी संपत्ति में इसका जिक्र भी करना होगा. इस कारण भी निवेशक क्रिप्टो से दूर रहना पसंद करते हैं.