सरकार ने चावल की कीमतों में बढ़ोतरी पर चिंता जताई है और कारोबारियों से भारतीय खाद्य निगम यानी FCI के स्टॉक से अनाज की खरीदारी करने का आग्रह किया है. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के मुताबिक चावल की कीमतों में करीब 13 फीसद का इजाफा दर्ज किया गया है, जबकि गेहूं के आटे के दाम में सिर्फ 1.5 फीसद की बढ़ोतरी हुई है. चावल के भाव ज्यादा क्यों है और हर हफ्ते होने वाली FCI की ई नीलामी में उठाव कम क्यों है, इसका पता लगाने के लिए पिछले हफ्ते खाद्य मंत्रालय ने चावल निर्यातकों और व्यापारियों की एक बैठक बुलाई थी.
चावल कारोबार से जुड़े जानकारों का कहना है कि सरकारी अधिकारी चावल के व्यापार में होने वाले बदलाव को समझने में विफल रहे हैं. उनका कहना है कि अधिकारियों को समझना होगा कि गेहूं और चावल की बिक्री करने में काफी अंतर है.दक्षिण भारत के एक चावल निर्यातक के मुताबिक चावल की जिन किस्मों की मांग ज्यादा है उनकी सप्लाई कम है. हर देश के विभिन्न इलाकों में एक खास किस्म के चावल का उपभोग होता है और इसकी कमी 2022 से बनी हुई है और अब यह बढ़ती जा रही है.
जानकारों का कहना है कि 2022 में जो स्थिति गेहूं में देखने को मिली थी, वैसा ही परिदृश्य दिखाई पड़ रहा है. उनका कहना है कि उत्तर के साथ देश के कुछ हिस्सों में किसान चावल की ऐसी किस्मों की खेती कर रहे हैं जिसकी खरीद भारतीय खाद्य निगम के द्वारा की जाती है और उसकी खपत अफ्रीकी देशों में होती है.