भारत अपने पड़ोसी देशों की ऊर्जा जरूरत को पूरी करने में अहम भूमिका निभा रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार भारत और श्रीलंका ऊर्जा संकट को लेकर चर्चा शुरू करने के लिए तैयार हैं जिससे दोनों दक्षिण एशियाई देशों के बीच एक बहु-उत्पाद पेट्रोलियम पाइपलाइन का रास्ता साफ होता दिख रहा है. इस परियोजना की घोषणा जुलाई में राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे की भारत यात्रा के दौरान हुई थी. इससे श्रीलंका को किफायती लागत पर अपनी ऊर्जा सुरक्षा में सुधार करने में मदद मिल सकती है. इस बैठक में कई मुद्दों पर चर्चा होनी है. इसमें तमिलनाडु के नागपट्टिनम से पूर्वोत्तर श्रीलंका के जाफना तक पाइपलाइन चलाने का प्रस्ताव भी शामिल है. हालांकि यह प्रस्ताव अभी प्रारंभिक चरण में हैं.
श्रीलंका को राहत देगा भारत
यह वार्ता 2022 के आर्थिक संकट के बाद हो रही है. रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद पूरी दुनिया के सामने ऊर्जा संकट की समस्या है. ऐसे में दक्षिण एशियाई देशों जैसे-नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका ही नहीं बल्कि म्यांमार भी भारत के साथ ऊर्जा कनेक्टिविटी बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं. इन देशों के नेताओं ने हाल के महीनों में भारतीय नेताओं के साथ हुई अपनी द्विपक्षीय चर्चाओं पर जोर दिया है. गौरतलब है कि श्रीलंका में व्यापक बिजली कटौती और ईंधन की कमी ने जनता में असंतोष को बढ़ावा दिया और इस आक्रोश के बीच राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे की सरकार गिर गई और कमान विक्रमसिंघे के पास आ गई.
श्रीलंका उन दक्षिण एशियाई पड़ोसियों में से एक है जिनके साथ भारत ऊर्जा कनेक्टिविटी बनाने का प्रयास कर रहा है. भारत ने सीमा पार बिजली आपूर्ति के प्रावधान के माध्यम से पड़ोसी देशों को ऊर्जा सुरक्षा प्रदान करने के लिए और भी कई प्रयास किए हैं. भारत और श्रीलंका, दक्षिण एशिया में अधिक मजबूत ऊर्जा व्यापार बाजार बनाने के प्रयास में अपने पावर ग्रिडों को जोड़ने का प्रयास करेंगे.
इन देशों के साथ भी है साझेदारी
यह पाइपलाइन, दक्षिण एशिया में भारत की तरफ से निर्मित तीसरा अंतरराष्ट्रीय पाइपलाइन होगा. भारत अभी तक नेपाल (मोतीहारी-अमलेकगंज) और बांग्लादेश (सिलीगुड़ी से पार्बतीपुर) के लिए पेट्रोलियम उत्पादों की आपूर्ति का पाइपलाइन बिछा चुका है. 2019 में भारत और नेपाल ने मोतिहारी-अमलेखगंज पाइपलाइन का उद्घाटन किया, जो भारत के मोतिहारी और नेपाल के अमलेखगंज के बीच 69 किमी तक चलती है. इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन के नेतृत्व में निर्मित इस पाइपलाइन की क्षमता 2 मिलियन टन प्रति वर्ष है. नेपाल के लिए दो और पेट्रोलियम पाइपलाइन बिछाने पर काम चल रहा है.
दूसरी तरफ भारत और बांग्लादेश ने इस वर्ष हाई-स्पीड डीजल परिवहन के लिए एक ‘पाइपलाइन’का उद्घाटन किया. 2015 में घोषित यह परियोजना इस क्षेत्र की दूसरी सीमा-पार ऊर्जा पाइपलाइन है. इन साझेदारियों से पड़ोसी देशों को ना सिर्फ सालाना अरबों रुपये की बचत होगी क्योंकि अब उन्हें भारतीय रिफाइनरी से पेट्रो उत्पादों की ढुलाई पर भारी-भरकम खर्च नहीं करना होगा बल्कि आपूर्ति भी सुनिश्चित होगी.