व्यापक व्यापार और आर्थिक मापदंडों के आधार पर चीन से भारत औसतन 16.5 साल पीछे है. ब्रोकरेज फर्म बर्नस्टीन की ताजा रिसर्च रिपोर्ट में यह बात सामने आई है. ब्रोकरेज फर्म ने अपनी रिसर्च में विभिन्न मानदंडों जैसे पेटेंट, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई), विदेशी मुद्रा भंडार, नॉमिनल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) और निर्यात को शामिल किया था.
पेटेंट के मामले में 21 साल पीछे है भारत
रिपोर्ट में पाया गया है कि पेटेंट के मामले में चीन से भारत 21 साल, एफडीआई के मामले में 20 साल, विदेशी मुद्रा भंडार में 19 साल और निर्यात में 17 साल पीछे है. वहीं नॉमिनल जीडीपी और प्रति व्यक्ति आय के मामले में भारत 15 साल, उपभोग व्यय में 13 साल और सकल स्थिर पूंजी निर्माण के मामले में 16 साल पीछे है.
रिसर्च में इन आंकड़ों को किया गया शामिल
बर्नस्टीन ने अपने रिसर्च में रिजर्व बैंक, चीन के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो, सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय, विश्व बैंक और विश्व बौद्धिक संपदा संगठन के आंकड़ों को शामिल किया है. भारत और चीन के बीच के अंतर को आंकड़ों के आधार पर देखें तो साफतौर पर इस अंतर को समझा जा सकता है. दरअसल, 1 दशक पहले दुनिया में भारत की जीडीपी 11वीं सबसे बड़ी थी, लेकिन हाल के वर्षों में काफी कुछ बदलाव आ गया है. वहीं पिछले साल ब्रिटेन को पीछे छोड़ते हुए भारत 3.53 ट्रिलियन डॉलर जीडीपी के साथ पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई थी. ब्रिटेन की जीडीपी पिछले साल 3.38 ट्रिलियन डॉलर रही थी.
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के अनुमान के मुताबिक भारत 2025 तक दुनिया की चौथी और 2027 तक 5.4 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी के साथ तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकती है. भारत ने 2030 तक 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य रखा है. वैश्विक कंसल्टेंसी फर्म बोस्टन कंसल्टेंसी ग्रुप ने इन आंकड़ों को यथार्थवादी लक्ष्य करार दिया है. बोस्टन कंसल्टेंसी ग्रुप के ग्लोबल चेयरमैन एमेरिट्स हंस पॉल बर्कनर ने कहा है कि 7-8 फीसद की ग्रोथ रेट से इस लक्ष्य को पूरी तरह से हासिल किया जा सकता है.