क्रिप्टोकरेंसी को लेकर मची उधेड़बुन को दूर करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और फाइनेंशियल स्टेबिलिटी बोर्ड (FSB) ने अहम सुझाव दिया है. इन दोनों वैश्विक संस्थाओं के मुताबिक क्रिप्टोकरेंसी एसेट पर बैन लगाने के बजाय इसे रेगुलेट किया जाना चाहिए. हालांकि इसे आधिकारिक करेंसी या लीगल टेंडर का दर्जा नहीं दिया जाना चाहिए. वहीं ऐसे एसेट से जुड़े वित्तीय और मौद्रिक जोखिमों को कम करने के लिए सरकार को कोशिश करनी चाहिए.
आईएमएफ और एफएसबी ने क्रिप्टो से जुड़े वित्तीय स्थिरता को कम करने के उपायों को लेकर सिंथेसिस रिपोर्ट तैयार की है. इस 45 पेज के डॉक्यूमेंट को G20 के डेप्युटीज के साथ पहले ही साझा किया जा चुका है. इसमें कहा गया है कि आर्थिक जोखिमों से बचने के लिए देशों की अर्थव्यवस्थाओं को अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन करते हुए अपने वित्तीय हित सुरक्षित करने चाहिए. इसके अलावा फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) के नियमों का भी ध्यान रखा जाना चाहिए. जिससे मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर फाइनेंसिंग जैसी गतिविधियों पर लगाम लगाई जा सके.
क्रिप्टोकरेंसी को पूरी तरह से अपनाने पर होने वाले नुकसान के बारे में बताते हुए रिपोर्ट में कहा गया कि इसे व्यापक रूप से अपनाने से मौद्रिक नीति की प्रभावशीलता कम हो सकती है. राजकोषीय जोखिम बढ़ सकते हैं और वैश्विक वित्तीय स्थिरता को खतरा हो सकता है. वहीं भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से इस पर पूर्ण प्रतिबंध लगाए जाने पर रिपोर्ट में कहा गया है कि पूर्ण प्रतिबंध से धोखाधड़ी को बढ़ावा मिलेगा. प्रतिबंध लगाने का निर्णय एक ‘आसान विकल्प’ नहीं है और इसे मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण जोखिमों आदि का खतरा बढ़ जाएगा.
भारत भी क्रिप्टो को रेगुलेट करने के पक्ष में
क्रिप्टो करेंसी की बढ़ती उपयोगिता को देखते हुए वित्त्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि क्रिप्टो एसेट को रेगुलेट करने के लिए ग्लोबल फ्रेमवर्क पर कई देशों के साथ चर्चा की जा रही है. वित्त मंत्री ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी को बिना सभी देशों के साझा सहयोग के रेगुलेट नहीं किया जा सकता. भारत की G20 अध्यक्षता ने इस मुद्दे को सभी देशों के सामने ला दिया है कि क्रिप्टोकरेंसी को लेकर एक फ्रेमवर्क की जरूरत है ताकि इसे रेगुलेट किया जा सके और सही ढंग से समझा जा सके.
भारत इस बार G20 देशों की अध्यक्षता कर रहा है. इस शिखर सम्मेलन से पहले जी20 देशों के वित्त मंत्रालय के प्रतिनिधि (finance deputies) इस सप्ताह 6 सितंबर और 7 सितंबर को मिलेंगे, ताकि कर्ज संकट (debt distress) और डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर से संबंधित कुछ मुद्दों पर चर्चा की जा सके. गौरतलब है कि G20 शिखर सम्मेलन 9 और 10 सितंबर को नई दिल्ली में आयोजित किया जा रहा है.
पिछले कुछ सालों में दुनिया भर में क्रिप्टोकरेंसी का चलन तेजी से बढ़ रहा है. खासकर युवाओं में इसे लेकर एक अलग ही क्रेज है. दुनिया भर में लोग अलग-अलग क्रिप्टो जैसे बिटकॉइन, एथेरियम, डोजीकॉइन इत्यादि जैसे तमाम तरह की क्रिप्टोकरेंसी में निवेश कर रहे हैं. अलग-अलग देशों में इस क्रिप्टो को लेकर अलग-अलग तरह के नियम और कानून बनाए गए हैं. गौरतलब है कि भारत में भुगतान माध्यम के रूप में क्रिप्टोकरेंसी को किसी भी केंद्रीय प्राधिकरण द्वारा विनियमित नहीं किया जाता है. क्रिप्टोकरेंसी से निपटने के दौरान विवादों को निपटाने के लिए कोई नियम और कानून या कोई दिशा-निर्देश निर्धारित नहीं हैं. ऐसी स्थिति में, क्रिप्टोकरंसी में ट्रेडिंग निवेशकों के जोखिम पर की जाती है. हालांकि क्रिप्टो को लेकर जल्दी ही भारत में भी नियम बनाए जाने की उम्मीद है.